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Showing posts from December, 2011

gondi Language in india

म0प्र0 में गोंड जनजाति की जनसंख्या को देखते हुए तथा उसकी समृद्व भाशा गोंडी को बोलने वालों की संख्या को देखते हुए कोयतुर गोंडवाना महासभा जोकि सामाजिक संगठन है । के द्वारा गोंडी भाशा को मान्यता दिलाये जाने हेतु लगातार प्रयास कर रही है । इसी के तहत म0प्र0 के विधान सभा सदस्यों से संपर्क कर नवम्बर 2011 के सत्र के दौरान मांग पत्र प्रस्तुत किया ताकि ये सदस्य विधान सभा में चर्चा कराके प्रस्ताव पारित करा लें । दुर्भाग्य से किसी भी सदस्य ने इसे नहीं उठाया । जबकि इस संबंध में लगभग सभी अनु0जनजाति के विधायकों को मांग पत्र देकर अनुरोध किया गया । महत्व नहीं दिये जाने का कारण जो भी लेकिन इतना तो समझा जा सकता है कि इन विधायकों में भाशा की महत्ता क्या होती है इसकी समझ नहीं । इन्हें यह दिखाई नहीं देता कि विदेषी भाशा अंग्रेजी षरणार्थी विदेषी सिंधियों की भाशा सिंधी को जब इस देष के संविधान में जगह मिल सकती है तब मूल निवासियों की भाशा गोंडी को मान्यता क्यों नहीं दिया जाना चाहिए । जरा सोंचें ।