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Showing posts from January, 2015

अतिवाद और प्रकृतिवादी

हिन्दु धर्म के ठेकेदार कहते हैं यह देख हिन्दुओं का है मुस्लिम विचारक सारी दुनिया को मुसलमान के रूप में पैदा होना बताते हैं । लगातार इस बात पर बहस चल रही है । कहीं धर्मांतरण कहीं घर वापसी यह क्या हो रहा है । सभी आने बाप क्ष्इष्ट द्व को सबका जन्मदाता मालिक बताने में लगे हैं ताकि सभी अपने बाप के बताये धर्म संस्कृति और नियम का पालन करने के लिये बाध्य हों । किसी ने आज तक नहीं कहा कि सबका मालिक मार्गदर्षक प्रकृति है पथ प्रदर्षक प्रकृति सम्मत नियम कायदे हैं घ् सब अपनी ढपली अपना राग  अलाप रहे हैं आज जिस धर्म संस्कृति की लोगों को आवष्यकता है उसकी ओर नजर भी फेर कर नहीं देखा जाता समस्त मानवता अपने बाप को भूल गई है । और कुछ लोग जो अभी भी प्रकृति रूपी अपने बाप और मार्गदर्षक की याद करते हैं तो वे पिछडे अज्ञानी कहलाये जा रहे हैं । क्योकि वे धर्मांतरण या घर वापसी के मुददे से परे अपने मार्गदर्षक प्रकृतिवाद का अनुषरण करते हुए इस आस में लगे हैं कि कभी तो मानव अपने असली बाप को पहचानेगा । सही मायने में समझा जाय तो धर्मांतरण घर वापसी या अन्य तर्क केवल भय का प्रतीक हैं प्रत्येक पाखंडी धर्म नह

"सरकारी सामान्य शिक्षा के अतिरिक्त सामाजिक शिक्षा की आवष्यकता है आदिवासी समाज को !"

"सरकारी सामान्य शिक्षा के अतिरिक्त सामाजिक शिक्षा की आवष्यकता है आदिवासी समाज को !" "राटीय स्तर पर सामाजिक विकास के मूल्यांकन में आदिवासी समाज आज भी सबसे निचले पायदान में  ही बना हुआ हैं ।1947 के बाद भारत में बाहर से आने वाले षरणार्थी भी आदिवासियों से हर मायने में बहुत आगे निकल चुके हैं । सरकारी तंत्र और मीडिया चीख चीख कर आदिवासियों के विकास हेतु किये जा रहे प्रयासों को प्रसारित करती रहती हैं । अंत में निश्कर्श निकाला जाता हैं कि आदिवासी अपना विकास खुद नहीं करना चाहते । इसी तरह बात आई गई होती रहती हैं । कहीं कही आदिवासी अपने हक अधिकार के प्रति सजगता दिखाने लगता है तो उस पर अलगाव वाद नक्सलवाद का आरोप लगाकर उसे राश्ट की मुख्यधारा में लाये जाने के लिए कठोर कदम उठाये जाने की वकालत होने लगती हैं । आदिवासी को आज तक पता नहीं कि राश्ट की मुख्यधारा क्या हैं वह तो आज भी उसी प्रकृति के नियम कायदों को मनुश्य जाति की मुख्य धारा मानकर स्वच्छ और विनम्र जीवन जी रहा हैं । तब केवल एक जाति या वर्ग की विचारधारा जो आज राश्ट की विचारधारा के रूप् में प्रस्तुत की गई हैं । उसमें वह कैंसे अपन