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Showing posts from April, 2015

संगठित वर्गचेतना के लिये काम किया जाय ।

" एक ओर हम देष के समस्त अदिवासी भाईयों को एक सूत्र में बांधकर आदिवासियों पर हो रहे अन्याय अत्याचार पर चर्चा कर उससे निपटने के रास्ते निकालने का प्रयास कर रहे है । राश्टीय स्तर की समस्याओं पर एक सोच विचार और व्यवहार लाने की कोशिष में हैं ं वहीं हमारे कुछ नवजवानो में आदिवासी षब्द के पीछे पडकर अंग्रेजी भाशा में परिभाशित कर यू0एन0ओ0 के दिये नाम पर विवाद की स्थिति पैदा कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं हैं, हम अभी षब्द के पीछे ना भागें व्यवहार में हम क्या हैं, इस पर चिंतन करें । व्यवहा र अपने आप षब्द को अपने अनुरूप ढाल लेगा । यदि हम केवल षब्द के पीछे भागे तो लक्ष्य के पहले क्षेत्रवाद जातिवाद में उलझकर आदिवासियों के समग्र मिषन को रोकने का काम करते हैं । गोंडवाना हमारी राश्टीयता है लेकिन हमारा राश्ट अभी गोंडवाना नहीं बना है । गोंडवाना राश्ट में जाति और उपजाति में लम्बे समय से बंटे होने के बावजूद राश्ट के मूलनिवासियों में जाति से उपर उठकर कम से कम वर्गचेतना पैदा हुई, यह भी मूलनिवासी समाज के आगे आने के लिये एक रास्ता है । यही वर्गचेतना आगे चलकर समाज के राश्टीयता का मार्ग प्रष्स्त करेगी । इसलिय

"राश्टीय स्वयं सेवक संघ और नरेंद्र मोदी"

"डा0 अम्बेडकर जयन्ति के उपलक्ष्य में मूलनिवासी राश्टवादी समाज को सादर समर्पित".                                                    साथियों, राश्टीय स्वयं सेवक संघ का दावा है कि वह देष का सबसे बडा देष भक्त संगठन है । परन्तु असल में वह अपनी ब्राहमनी विचारधारा को इस देष में स्थापित करना चाहता है जिसका आदर्ष मनुस्मृति का संविधान है । अब आरएसएस के प्रचारक नरेंद्र मोदी के हाथों देष की सत्ता है । संघ को अपने गुरू गोलवलकर के सपनों को साकार करना है । अपने सभी एजेण्डा को षनैः षनैः लागू करना है जिन एजेण्डों पर ये 1925 लगातार कार्यषील हैं । संघ का एक प्रतिबद्ध प्रचारक देष की सर्वोच्च सत्ता पर है इसलिये भी इस बात की आवष्यकता और बढ गई है कि हम संघ के इतिहास संघ की विचारधारा और संगठन को समझें ।  एक ओर हमारे देष में आज भी सामाजिक गैर बराबरी और पिछडापन बडे पैमाने पर व्याप्त है आर्थिक असमानता चारों तरफ फैली है कमजोर वर्गों के मानवधिकार को आये दिन कुचलने का काम हो रहा है इसलिये आष्यकता इन क्षेत्रों में काम करने की है ना कि इनके नेताओं द्वारा की जा रही अनर्गल बयानबाजी जो संध के एजेण्डा को हवा

गोंडवाना पुनरूत्थान यात्रा------

                            गोंडवाना पुनरूत्थान यात्रा------ गोंडवाना की धार्मिक सांस्कृतिक राजनीतिक हलचल जारी है । अभी तक हुए अनुभवों की भी लम्बी दास्तान है । परन्तुे मैं अपने गोंडवाना विषयक प्रवाह को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने की जोखिम उठा रहा हूं । गोंडवाना के पुनरूत्थान में लगे समस्त लेखक कवि चिंतको का दायित्व भी यही होना चाहिये । जब किसी समाज में राजनैतिक धार्मिक सांस्कृतिक इच्छा शक्ति जागृत होती है तब उस समाज की गति शून्यता समाप्त हो जाती है । फिर उस समाज में राजनैतिक हलचल दिखाई देने लगती है । राजनैतिक हलचल से समाज के लोग अनेक विचारों को गृहण करने लग जाते हैं । जिसकी पृष्ठभूमि में राजनैतिक सरोकारों से जुडे प्रश्न होते हैं । जिससे राजनैतिक संवाद की रूपरेखा बनती है । और आगे जाकर राजनीति का प्लेटफार्म तैयार हो जाता है । एक एैसा ही प्लेटफार्म गोडवाना गणतंत्र पार्टी के संदर्भ में जो हीरा सिंह मरकाम शीतल मरकाम मोतीरावण कंगाली और सुन्हेर सिंह ताराम के साथ साथ अनेक व्यक्तियों के विचारों को समाविष्ठ कर तैयार किया गया है। परन्तु इतने अंतराल के बाद भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी गणतंत

गोंडवाना आन्दोलन का आधार स्तंभ

गोंडवाना आन्दोलन का आधार स्तंभ............" गोंडवाना दर्शन" मासिक पत्रिका "गोंडवाना दर्शन मासिक पत्रिका लगातार 33 वर्षों से देश के कई प्रदेशों में लगातार प्रकाशित होकर पहुंच रहा है । आजादी के पूर्व के गोंडवाना आन्दोलन के बाद यदि गोंडवाना आन्दोलन को पुनर्जीवित किया है तो वह गोंडवाना दर्शन मासिक पत्रिका ही है । आधुनिक गोंडवाना आन्दोलन की नीव में गोंडवाना दर्शन के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता । आज की तारीख में आन्दोलन को आगे बढाने में बहुत सी पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है । जो आज की आवश्यकता है परन्तु आन्दोलन की मार्गदर्शक पत्रिका गोंडवाना दर्शन के प्रति हमारी निष्ठा और हमारी सोच सकारात्मक होना चाहिए । तब हम इतिहास संस्कृति और अपनी धरोहर को सुरक्षित नही कर पा रहे थे तो गोंडवाना सगा नाम से आरंभ की गई यह पत्रिका तथा इसके संपादक सुन्हेर सिंह ताराम जी ने देष में घूम घूम कर इस पत्रिका में प्रकाशित कर समाज को बताने का प्रयास किया है और लगातार कर रहे हैं । गोंडवाना दर्शन का संपादक मंडल डा0 मोती रावन कंगाली, ठाकुर कोमल सिह मरई सहित सभी इस कार्य में लगातार संलग्न होकर पत्रिक

"आओ अपना इतिहास लिखे "

"आओ अपना इतिहास लिखे " भारतीय इतिहास ने मूलनिवासियों को सदैव दिग्भ्रमित किया है, तथ्यों को तोड मरोडकर प्रस्तुत किया है। इसलियें देष के इतिहास को निम्न मापदंड के अनुषार लिखकर इतिहास के भ्रम को दूर करें।  प्रमुख माप:- 1 भूखण्ड 2 कालखण्ड 3 जीवन प्रमुख कसौटी 1 जानो 2 छानो 3 तब मानो 1 बुद्धि 2 विवेक 3 और विज्ञान इतिहास लिखने में रूचि रखने वाले साथियों,  निम्न क्रमबद्ध तथ्यों में प्रमुख मापदण्ड: 1 भूखण्ड 2 कालखण्ड 3 मनुश्य जीवन या कब कहां और कौन की पूर्ति कर आप इतिहास लेखन में अपना योगदान दें । हमने जानबूझकर अधिकांष कब कहां और कौन का उल्लेख नही किया है ना ही सूक्ष्म विवरण दिया गया है कहने का मतलब यह कि यह एक सांचा है इसमें जितना अधिक जितना अच्छा मटेरियल डालकर बनाओगे उतना ही अच्छा परिणाम प्राप्त होगा एक अच्छा साहित्य आपके माध्यम से समाज को समर्पित होगा । 0. धरती का निर्माण और जल और वायु की उपस्थिति पैंजिया का वर्णन 1. जीव उत्पत्ति:- काल और विवेकषील इंसान का विकासक्रम  2. धरती का विभाजन:- टैथिस सागर गोंडवाना लैण्ड एवं अंगारा लैण्ड 3. गोंडवाना लैण्ड और नर्मदा नदी:- 25 करोड वर्श का अस