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Showing posts from July, 2015

हमारी सांस्कृतिक मान्यताएं l

"एक मूर्ख कलेक्टर की सोच "  हमारी सांस्कृतिक मान्यताएं ,जिसमे गांव के लोग अपने ग्राम का बंदोबस्त करते है जिसमें अन्य बाहरी गांव के लोगों का उस समय आना वर्जित है ,इसे कलेक्टर छिंदवाड़ा द्वारा अंधविस्वास कहा जा रहा है ! उसे क्या पता गांव स्थापना का आधार क्या है ,गांव में क्या संस्कार होते हैं, गांव कैसे बसाये जाते हैं ! जिन गावं ने शहर निर्माण की नींव रखी है उनके संस्कार और वह अन्धविस्वासी ! शहरों के पढ़े लिखे जो पत्थर में पानी चढ़ा रहेस्वर्ग नरक पर विश्वास करते हैं वे ज्ञानी ! 1. Harilal Watti   प्रकृति के रहश्य को जानने वाला यह कोयतुड़ियन समाज अनावश्यक दिखावा या अव्यहवारिक कोई भी ऐसा कार्य नहीं करते । बल्कि वही कार्य करते हैं जो व्याहवारिक और विज्ञान सम्मत है। उदा. के तौर पर हमारे धर्म गुरु पहांदी पाड़ी कुपार लिंगो बाबा ने चार प्रकार के खून वर् ग समूह के आधार पर अलग अलग गोत्र व्यवस्था स्थापित कर वैवाहिक संबंधों की विज्ञान सम्मत धारणा ( जिसको धारण किया जा सके ) प्रस्तुत की तथा प्रत्येक गोत्र के साथ एक वनस्पति एक जीव को जोड़ा ताकि मनुष्य उस जीव एवं वनस्पति का सम्मान एवं सुरक्षा करे

"सावधान गोंडवाना के मूलनिवासी आदिवासी "

"सावधान गोंडवाना के मूलनिवासी आदिवासी "  जिस तरह बामन कथा में बामन द्वारा केवल आवाज में "स्वाहा" बोल देने से पूजा करने वाला भौतिक हरकत कर अन्न को बिना सोचे समझे अग्नि में डाल देता है ,इसी संस्कार के बल पर आज आर एस एस की विचारधारा सत्ता पाने में सफल हुई है ! उन्होंने जय श्रीराम का नारा लगाया, लोग भौतिक हरकत में आ गए, जिसे वे मंदिर कहते हैं आपने बिना सोचे समझे मंदिर को ही ढहा दिया !लक्छ्य तुम्हारा नहीं उनका सफल हुआ ! आज की केंद्र सरकार इसी फार्मूले से बानी है ,इन्हें भारतीय  मानसिकता की पूरी समझ है , बुद्धि विवेक और संवेदना शून्य जनमानस मशीन बन कर रह गया है ,केवल स्वाहा के सेंसर से हरकत में आ जाती है ! बुद्धि विवेक रूपी संवेदनशीलता की कमी के कारण, उस पर हो रही जुल्म ज्यादती का असर उस पर नहीं होता ! आज मोदी लम्बी चौड़ी बात कर सबको प्रभावित कर देता है केवल आवाज है ,संस्कारित जनमानस उस सेंसर से लिंक्ड है हरकत में आ जाता है ! यही फार्मूला था हिटलर का ,यही दर्शन है फासीवाद का इसी को अधिनायकवाद कहते है, ,जिसे संघ ,भाजपा के माध्यम से देश में स्थापित करना चाहती है ! "साव

"महारानी दुर्गावति बलिदान दिवस" 24 june 2015

"महारानी दुर्गावति बलिदान दिवस"  24 जून को प्रति वर्ष गोंडवाना की,वीरांगना महारानी दुर्गावति का बलिदान दिवस सम्पूर्ण गोंडवाना में बडे धूम धाम से मनाया जाता है । आस्था में सराबोर सारे देश के विचारक नेता समाजसेवी अनेक आयोजित शासकीय अशासकीय मंचों में रानी दुर्गावति की शौर्य और बहादुरी तथा गोंडवाना की अस्मिता की रक्षा करने वाली महानायिका के रूप में अपने विचारों से समाज को आन्दोलित करेंगे । वहीं एक एैसा वर्ग एैसे संगठन जो गोंडवाना की वीरांगना के इस महान कृत्य समाज की अस्मिता रक्ष ा हेतु बलिदान की दिशा ही बदल देने का प्रयास पहले भी करते रहे हैं अब भी करने का प्रयास करेंगें । इनका यह उदबोधन प्रयास महारानी का मुगलों के साथ किये संघर्ष को याद दिलाने को होता है । आदिवासियों को हिन्दुओं के साथ खडा कर मुस्लिम विरोधी बनाने का प्रयास किया जाता है । वहीं रानी दुर्गावति को राजपूत कन्या के रूप में स्थापित कर राजपूतों में ही इतनी क्षमता हो सकती है इस बात को हाईलाईट करने का प्रयास होता है । ताकि गोंडवाना का यह विशाल समाज दिग्भ्रमित हो अपने आप में हीनता का शिकार हो कि बहादुरी तो केवल राजपूतों म