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Showing posts from October, 2015

व्यक्ति समाज और उसका दायित्व

व्यक्ति समाज और उसका दायित्व आज हम आदिवासी समाज सामाजिक स्तर पर एक होकर अपने हक अधिकार की लडाई लडने की बात करते हैं हमारी भाशा धर्म संस्कृति को सुरक्षित करने की बात करते हैं यहां तक सौ प्रतिषत ठीक है । और ठीक है हजारों संगठन बनाना भी परन्तु सभी संगठन इस बात पर जरूर ध्यान दे कि हमारी सोच विचार और व्यवहार एक हो । मैं मानता हूं कि मानवीय स्वभाव होता है किसी अन्य पर प्रभुत्व बनाये रखने का । चाहे वह पत्नि हो बच्चे हों या समाज का परिवार का छोटा समूह हो । यही नहीं मानवीय स्वभाव ने अपने इसी प्रवृति के कारण अन्य जीव जन्तुओं को भी अपने कब्जे में करके अपनी इच्छानुरूप चलाना चाहता है । अपनी विवेकषील मष्तिश्क के कारण उन पर राज करता है । चूंकि इंसान ने इंसान के बीच इस तरह की कोई अडचन ना आये इसलिये मानवीय नियम जाति नियम सामाजिक नियम और राश्टीय स्तर पर राश्टीय नियम बनाकर संतुलन को बनाये रखने का प्रयास किया जाता है । परन्तु इन नि