Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2016

"गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राजनीतिक क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है ।

"गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राजनीतिक क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है" गोंडवाना समग्र क्रांति आन्दोलन की समस्त सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक साहित्यिक शाखायें निरंतर प्रगति में हैं । वही इसकी राजनीतिक शाखा जो प्रजातंत्र में अहम भूमिका अदा करने वाली शाखा है कहीं न कहीं कमजोर नजर आती है । इसका प्रमुख कारण है कहीं ना कहीं हमसे गल्तिियां हो रहीं हैं । जिसे युवा पीढी को ध्यान चिंतन क रना होगा । पहली बात यह कि समय समय पर महत्वपूर्ण मुददों को लेकर राष्टीय कमेटी की बैठक आयोजित किया जाना चाहिये जो कभी होती नहीं । गोंडवाना आन्दोलन से प्रभावित राज्यों के प्रतिनिधियों को लेकर राष्टीय कमेटी का निर्माण होना चाहिये जो नहीं है । इसी तरह पार्टी के सभी विभाग गठित कर उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिये उसका रिकार्ड होना चाहिये जो कभी भी सार्वजनिक नहीं किये गये । पस संबंध में मैने अनेक बार सुझाव् दिये हैं लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ इन परिस्थितियों में संगठन के पदाधिकारी कभी भी कहीं भी व्यक्तिगत निर्णय लेकर पार्टी को नुकसान पहुंचा देते हैं । जिससे कार्यकर्ता और जनता का विश्वास टूटता है

गोन्डवाना "विचारधारा का मानकीकरण"

"विचारधारा का मानकीकरण" गोन्डवाना के ऐतिहासिक तथ्य हो या साक्ष्य ,इन पर हमारे समाज के विद्वान अभी एकपक्षीय विश्लेषण कर जैसा चाहे वैसी व्याख्या कर अपनी अपनी श्रेष्ठता,विद्वत्ता का प्रदर्शन करने की होड में दिखाई देते हैं। अर्थात अपने मुह मिया मिट्ठू की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। किसी तथ्य, विषय के अध्ययन , तथा शुरुआत के लिये ऐसा करना आरम्भिक चरण में सही हो सकता है। पर एैसा ना हो कि चार अन्धे हाथी के बारे में अपनी अपनी व्याख्या में अडे रहे। जब आन्ख वाला आकर उन्हें असलियत बता ये तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस न हो। ध्यान रहे गोन्डवाना के एैतिहासिक , धार्मिक, सान्सक्रतिक तथ्यों पर दुश्मन सूक्ष्मता से नजर गडाया हुआ है। आज वह आपके विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, इसका मतलब यह नहीं कि वह बेखबर है।हमें अपने मुह मिया मिट्ठू बनने की बजाय राष्ट्रीय स्तर पर विचारधारा का मानक मापदन्ड तय कर लेना चाहिये ताकि किसी व्यक्ति , समुदाय, या उस विचारधारा के सन्गठन को अपनी बात द्रढता से रखने मे आसानी हो । आज यह समाज अपनी बात को अपनी प्रस्तुति को एकरूपता से नहीं रख पाने के कारण अन्धविश्वासी, रू

देश के असली मालिक "गोन्डवाना का गोन्ड"

देश के असली मालिक आदिवासीयो को"पीला सलाम" के साथ नीला और लाल सलाम के साथ"देश की असली आजादी के लिये सन्घर्ष की तैयारी करना चाहिए। यूएनओ के अनुसार किसी देश के मूल निवासियों पर विदेशी जातियों का राज हो सकता है पर वे वहाँ के मालिक नहीं हो सकते।केवल सत्ताधारी होकर मूलनिवासीयो के मात्र सरक्षक हो सकते हैं। मूलनिवासीयो के भूमि का मालिक नहीं हो सकते। उस भूमि को लीज/डीड पर उपभोग कर सकते हैं।इसलिये देश के भूमि के मालिक की भूमि १९६९ तक विदेशीयो के लिये लीज पर थी,चाहे विदेशी अन्ग्रेज था  या विदेशी आर्य जाति इनका लीज/डीड समाप्त हो चुका है, या तो ये मूलनिवासीयो से विनती कर लीज का समय बढवाये या देश से जाने की तैयारी करें।अब मूलनिवासी अपने अधिकार और कर्तव्य को समझने लगा है। आदिवासीयो को ५वी और ६वी अनुसूचि यही इशारा करती है। पेशा कानून मूलनिवासीयो के मूल अस्तित्व उसकी भाषा,धर्म,सनस्क्रति रीतिरिवाजों की ओर इशारा करती है जिसमें देश के मालिक होने के सारे तथ्य मौजूद हैं। यदि मूलनिवासी मनुवादी सन्सक्रति /सन्सकारो को मानते हुए स्वतंत्रता की मांग करेगा तो वह विदेशीयो के साथ गेहूँ में घुन की तर