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Showing posts from April, 2016

"बीज गणित "

"बीज गणित " एक व्रक्ष के निर्माण के लिये बीज को मिटना पडता है। तभी नये बीज के पैदा होने की सम्भावना रहती है। नीव के पत्थरों को दफन होना पड़ता है, तब ऊन्ची इमारत की कल्पना की जा सकती है। इसी तरह समाज निर्माण के लिये समाज के अग्रणी पन्क्ति के लोगों को हर प्रकार का त्याग करना पड़ता है। यदि बीज कहे मुझे नहीं मिटना है, नीव का पत्थर कहे मुझे तो ऊपर ही रहना है, समाज का अग्रिम पंक्ति कहे मेरे किये का श्रेय मुझे जीते जी मिले तो " बीज गणित" कभी हल नहीं हो सकता । बिना हल किये सन्सार और समाज नहीं चल सकता।