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Showing posts from April, 2017

"गोंडवाना भूमि का आदिवासी"

गोंडवाना एक भूभाग है और उस भूभाग में आदिकाल से सर्वप्रथम पाया जाने वाला आज का बिखरा हुआ समूह जिसे अनेक विद्वान अलग अलग नाम देते हें ! यथा आदिवासी ,मूलनिवासी ,मूलवासी ,गिरिजन, वनवासी, जनजाति आदि । क्या देश में अनेक विद्वानों के द्वारा दिये गये इतने सारे नामों का इस्तेमाल करने के बजाय केवल एक नाम जिसको केप्टन जयपाल मुण्डा ने संविधान में स्थापित करने का प्रयास किया, क्या इस "आदिवासी" नाम को स्थापित नहीं किया जा सकता ? यदि एैसा होता है, तो शायद गोंडवाना भूभाग के समस्त आदिवासीयों की एैतिहासिकता प्रासंगिक हो सकती है । अन्यथा बिखरा आदिवासी गोंडवाना भूभाग ,गोंडवाना राष्ट और राष्टीयता की अवधारणा को संदेह की नजरों से देखेगा । क्या हम शब्दों के पीछे एकता की बलि नहीं दे देंगे ।

"जिसका जो काम है वही करे,देश सुन्दर स्वस्थ्य और समृद्ध हो जायेगा ।"

  1-राजनीतिक दलों का काम है प्रजा को प्रजातंत्र के प्रति विश्वास स्थापित कराना वोट के महत्व को बताना जनप्रतिनिधियों के कर्तव्यों के बारे में प्रजा को आगाह कराना ।  2-सामाजिक संगठनों का काम स्वयंसेवा जिसमें संगठन बनाकर समाज की सेवा करना प्रजा से आर्थिक ओर बौद्धिक शारीरिक श्रम का सहयोग और सरकारी धन से उनकी शिक्षा स्वथ्य की देखभाल और सामाजिक समरसता स्थापित करना अंधविश्वास ओर पाखण्ड जैसी कुरीतियों को दूर करने के ल िये काम करना । 3-समाज ओर सरकार के द्वारा चलाये जा रहे आर्थिक उपकृम समाज में बेरोजगारी हटाना समाज और राष्ट को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना है । परन्तु -राजनीतिक संगठन व्यापार का ज्ञान बाटने लगें जो उनका काम नहीं । -सामाजिक संगठन राजनीति करने लगें जो उनका काम नहीं ।  -आर्थिक उपकृम समाजसेवा में धन लगानें लगें ! तब इनके द्वारा समाज हित में अपेक्षित परिणाम केसे संभव है । इसलिये जिसको जो काम करना चाहिये वह वो काम करे तो शायद अपेक्षित परिणाम संभव हे अन्यथा रिलायन्स ओर बाबा रामदेव बनकर इस देश को पूंजिवाद की व्यवस्था जहां सबकुछ एक ही दुकान से मिलेगा एकाधिकार के चलन की ओर आगे बढकर देश को गु

"गोंड की उपजाति "भीमा गोंड " इनकी कौन सुध लेगा ।''

म0प्र0 में गोंड जनजाति की उपजाति भीमा है । जो अपने आप को भीमालपेन परिवार का हिस्सा मानते हैं । उनका मानना है कि भीमाल पेन जनता की सेवा के लिये निकल पडे थे उसी क्रम में हम भी भीमालपेन के डेरे को आज भी चलाकर राजा महाराजाओं को उनकी वीरता, समाज के प्रति कर्तव्य को अपने तुम्बे वादय से गा गाकर सुनाते और उनसे जो सहयोग, दान मिलता है अपने परिवार सहित डेरे को अगली पडाव पर ले जाते हैं । क्या इन्हें सम्मान देकर प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता । आज भीमाल पेन के वंशज भीमा गरीबी कुपोषण अशिक्षा के कारण विलुप्ति की कगार में हैं । इनकी सुध कौन लेगा ।

"आदिवासियों के धर्मकोड पर चिंतन"

part-1 आदिवासियों के धर्मकोड पर राष्टीय स्तर पर सोच बन रही है जनसंख्या के मामले में सभी प्रमुख आदिवासी जनजातियां इतना तो समझ चुकि हैं कि जब हम हिन्दु नहीं ?, वर्ण व्यवस्था में भी नहीं ? तब हम क्या हैं ? क्या हम इसी तरह विभिन्न धर्मों ,पंथों के द्वारा संख्या रूपी विशाल शरीर को नुचवा, नुचवाकर बोटियों में बंटकर कमजोर होते रहेगें । धर्मकोड के सेमिनार में एक साथी ने इशारा किया था कि आज की हमारी स्थिति के लिये हम खुद जिम्मेदार हैं । संविधान निर्माण के समय  जब धर्म कोड की बारी आयी तब सभी समुदायों ने अपना अपना पक्ष रखकर अपने अपने धर्म को कोड के रूप में जगह दिलाने में सफल हुए । दूसरी ओर संविधान सभा के प्रमुख सदस्य जयपाल मुण्डा सहित चार और आदिवासी सदस्य संविधान सभा में मौजूद थे, तब वे कैसे सफल नहीं हो पाये । कहीं एैसा तो नहीं कि जयपाल मुण्डा भविष्य को ध्यान में रखकर आदिवासी नाम पर जोर लगाते रहे और बाकी सदस्यों जो अलग अलग जाति समुदाय के थे उन्होने उनका साथ नहीं दिया । अन्यथा एक समुदाय एक धर्म, हो जाने से धर्म के बाहर जाने वाले व्यक्ति को शासकीय सुविधा से वंचित होना पडता । तब वह अन्य धर्म में जा

"मूलनिवासी लगातार संघर्ष कर रहा है ।"

"मनुवाद अपने राजधर्म का पालन हर कथित युग से करता चला आ रहा है ।"   देखें नमूना-  -कथित त्रेता युग में विश्वामित्र ने खुद को श्रेष्ठ बनाये रखा और क्षत्रिय राम को सत्ता सोंपकर मूलनिवासियों की हत्या कराई । -कथित द्वापर में विश्वरूप बनकर पांडवों को सत्ता दिलाकर मूलनिवासयिों की हत्या करायी  -बौद्ध काल में चाणक्य बनकर चन्द्रगुप्त को सत्ता दिलाकर मूलनिवासियों की हत्या की गई ।  -विगत कई वर्षों से आरएसएस का अंदरूनी ढांचा जो मनुवाद का पोषक है विभिन्न प्रदेशों में मूलनिवासी तथा क्षत्रियों को मुख्यमंत्री बनाकर मनुवादी विचारधारा के तहत मूलनिसियों की हत्या, शोषण और अधिकारों का हनन कराया जा रहा है ! -"बीते 2017 के चुनाव में भी यही स्थिति है ,मनुवादी कमांड में क्षत्रिय या अन्य को मोहरा बनाकर मूलनिवासीजनों के लिये खतरे का संकेत दे रहे हैं ।" -देश का सबसे बडा राज्य उ0प्र0 भी उसी नीति के तहत क्षत्रिय को सत्ता देकर उसकी कमांड मनुवादी संगठन कर रही है जो मूलनिवासियों का नुकसान करने के लिये रचित की गई है । "मानववादीयों, प्रकृतिवादियों को इस विषय पर अच्छा रास्ता निकालना ही होगा ।&quo