Skip to main content

Posts

Showing posts from November, 2017

मप्र में"भावान्तर"नही "भयान्तर" को समझो ।

मप्र में"भावान्तर"नही "भयान्तर" को समझो । मप्र की राजनीतिक धरातल में तीसरी बड़ी राजनीतिक सन्गठन का आधार स्थापित नहीं होना ही मप्र में राजनीतिक भय और भयान्तर की समझ नहीं होने का प्रतीक है। किसी सत्तारूढ स्थापित दल के विरुद्ध प्रदेश में यदि वातावरण बनने लगता है तब स्थापित विपक्षी दल और सत्तारूढ दल मिलकर यह वातावरण बनाने लगते हैं कि सत्तारूढ दल को सबक सिखाना है तो विपक्षी दल को सत्ता में लाओ तब तुम्हारी समस्याओं का निदान हो जायेगा आदि आदि --- पर मतदाता यह क्यों भूल जाता है कि  इसी विपक्षी दल की जनविरोधी नीतियों के कारण आपने उसे सत्ता से बाहर किया था। इसका मतलब है कि ५साल में मतदाता सब कुछ भूल गया ! पुनः गल्तिया दुहरा देता है । यह गल्ती एक बार हो तो भूल कहा जा सकता है पर बार बार की गल्ति को राजनीतिक समझ की कमी ही कहा जा सकता है । अन्य राज्य के मतदाता की समझ और मप्र छग के मतदाता की समझ मे यही अन्तर है । यही कारण है कि यहा अन्याय अत्याचार शोषण का बाजार सदैव गर्म रहता है । लगता है राजनीतिक दूरदशिर्ता की कमी के कारण "एक बात दिमाग मे घर बना चुकी है कि लगातार नुकशान झेल

आदिवासियत(रूढी परम्परा) को बचाने का एक एक ही मार्ग है “प्रथक धर्म कोड कालम”

सगाजनों को अवगत हो कि २०११ की जनगणना प्रारूप में धर्म सारणी में  कलाम (७) पर “अन्य ……….  जोडा गया था जिसके कारण विभिन्न आदिवासी समूहों नें अपनी जागरूकतानुशार ८३ प्रकार के धर्म अंकित कराये । परन्तु प्राप्त जानकारी के अनुशार अब २०२१ की जनगणना में “अन्य” का विकल्प ही नहीं रखा जा रहा है , तब आदिवासी की गणना स्वयमेव ही “हिन्दू” में होने वाली है । तब आपकी रूढी परम्परा कैसे बचेगी आप हिन्दू स्वीय विधि से सन्चाल ित होने लगेंगे । कुछ लोगों का मत है कि हम धर्म पूर्वी निसर्गवादी हैं ! जब आप गणना में “हिन्दू “ रहेंगे तब आपकी गिनती मूर्ति पूजक , ईश्वरवादी के रूप में होगी , कोर्ट कचहरी भी आपको हिन्दू मानकर ही फैसला करेगी । इसलिये मेरा केवल सुझाव है कि सबसे पहले  प्रथक कालम (७) अन्य…….  की रक्छा की जाय और एक नाम पर सहमति बनाने की मानसिकता बनायें, यह केवल समुदाय की समझदारी और सामन्जस्य से सम्भव है । नोट:- अन्य का विकल्प अन्कित नहीं होने पर हम कहां अपने सरना, गोंडी , प्रक्रति, आदिवासी या जो आपकी मान्यता में है लिखेंगे । बुद्धिजीवी इस पर विचार करें ।-gsm

“प्रथक धर्म काेड हेतु जनगणना में कालम स्थापित कराना”

(2)- “प्रथक धर्म काेड हेतु जनगणना में कालम स्थापित कराना” २०२१ में भारत की जनगणना में धर्म कोड कालम में जनजातियों के लिये कालम नम्बर ७ में “आदि पुनेम” या “प्रक्रतिवादी सरना पुनेम” को स्थापित कराने की मुहिम के लिये ग्रह मंत्रालय को आदिवासी समुदा़य के सभी संगठन पत्र लिखें । उदाहरण स्वरूप :-धर्म कालम(१) हिन्दू (२) इस्लाम (३) सिख (४) ईसाई (५) जैन (६) बौद्ध एवं कालम  (७) प्रक्रतिवादी सरना पुनेम (गोंडी/कोया) प्रक्रतिवादी सरना पुनेम (सरना) प्रक्रतिवादी सरना पुनेम (भीली) प्रक्रतिवादी सरन ा पुनेम (आदि) इस तरह लिखा जाये । सभी समूहों की अपनी प्रथक पहचान भी कायम रहेगी और जनगणना में सभी जनजातियों की धार्मिक संख्या एक साथ गिनी जा सकेगी । तब जनगणना कर्मचारी केवल जनगणना कालम में “सही” का निशान ही अंकित करेगा उसके पास कोई विकल्प नहीं होगा । आप उसे कहेंगे कि पहले कालम (७) में “सही” का निशान लगायें तत्पश्चात (......) कोष्टक में हम सरना, गोंडी,भीली या आदि लिखवाने पर जोर दें । इससे यह तो होगा कि वह कालम “७” पर केवल “सही” का निशान ही अन्कित कर सकता है । तब भी हमारी गणना प्रथक से हो सकेगी ! जनजातियों क

भारत देश में प्रचलित प्रमुख विचारधाराऐं और उनसे संबंधित " प्रमुख कर्मचारी ट्रेड यूनियन "

PART-6 भारत देश में प्रचलित प्रमुख विचारधाराऐं और उनसे संबंधित " प्रमुख कर्मचारी ट्रेड यूनियन " 1.मनुवादी विचारधारा- हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व -प्रमुख राजनीतिक दल- भाजपा, शिवसेना -आदर्श पुरूष. दीनदयाल उपाध्याय- गोलवलकर हेगडेवार-प्रमुख छात्र संगठन "एबीवीपी" - प्रमुख सामाजिक संगठन-"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ"-प्रमुख ट्रेड यूनियन-"बीएमएस" 2.साम्यवादी विचारधारा- धार्मिक कर्मकांड मुक्त विचारधारा का प्रतिनिधित्व- प्रमुख दल -भाकपा- माकपा- आरएसपी -आदर्श पुरूष. कार्लमार्क , लेनिन,माओत्सेतुंग, भगतसिंह- प्रमुख छात्र संगठन "एस एफ आई"-प्रमुख सामाजिक संगठन- "जनवादी संगठन","जनवादी परिषद"-प्रमुख ट्रेड यूनियन- "सीआईटीयू,एटक" 3.समाजवादी विचारधारा- हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व -प्रमुख दल -सपा , जद लोकदल-आदर्श पुरूष- जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया -प्रमुख छात्र संगठन " एसएसयू "-प्रमुख सामाजिक संगठन- "समाजवादी जनसभा" , "युवजन महासभा"-प्रमुख ट्रेड यूनियन 4.गांधीवादी विचारधारा -हिन्दू धर्म

भारत देश में प्रचलित प्रमुख विचारधाराऐं और उनसे संबंधित " सामाजिक संगठन "

PART-4 भारत देश में प्रचलित प्रमुख विचारधाराऐं और उनसे संबंधित " सामाजिक संगठन " 1.मनुवादी विचारधारा हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व -प्रमुख राजनीतिक दल- भाजपा, शिवसेना -आदर्श पुरूष. दीनदयाल उपाध्याय- गोलवलकर हेगडेवार-प्रमुख छात्र संगठन "एबीवीपी" - प्रमुख सामाजिक संगठन-"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ"  2.साम्यवादी विचारधारा- धार्मिक कर्मकांड मुक्त विचारधारा का प्रतिनिधित्व- प्रमुख दल -भाकपा- माकपा- आरएसपी -आदर्श पुरूष. कार्लमार्क , लेनिन, भगतसिंह- प्रमुख छात्र संगठन "एस एफ आई"-प्रमुख स ामाजिक संगठन- "जनवादी संगठन","जनवादी परिषद" 3.समाजवादी विचारधारा- हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व -प्रमुख दल -सपा , जद लोकदल-आदर्श पुरूष- जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया -प्रमुख छात्र संगठन " एसएसयू "-प्रमुख सामाजिक संगठन- "समाजवादी जनसभा" , "युवजन महासभा" 4.गांधीवादी विचारधारा -हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व -प्रमुख् दल- कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस-आदर्श पुरूष.महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू- प्रमुख छात्र संगठन