"गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन" को समझे बिना गोंडवाना आंदोलन समझ में नहीं आयेगा। -गुलजार सिंह मरकाम गोंडियन दर्शन के मार्ग पर चलने वाले नवज्ञानी लोगों को मेरा सुझाव है कि जो समुदाय अपने पिछले बीते इतिहास को नहीं जानेगा तब तक नया इतिहास नहीं लिख सकता! लेखन और लेख तो होंगे परन्तु इतिहास नहीं बना सकते। यह भी काफी हद तक सही है कि इतिहास सत्ताओं से प्रभावित भी होता है ,परन्तु विपक्ष को पूरी तरह नहीं नकार पाता। गोंडवाना आंदोलन के कुछ नवज्ञानी जो मात्र अधूरे ज्ञान या अंधभक्ति की पराकाष्ठा में गोंडवाना आंदोलन के इतिहास की महत्वपूर्ण कड़ियों को दरकिनार करके अपनी आत्ममुग्धता में आंदोलन का नुक़सान कर देते हैं। गोंडवाना आंदोलन के महान पुरोधा जो चाहे देश की आजादी के पूर्व के हों या बाद के भी ऐसे नायक गोंडवाना आंदोलन को किसी ना किसी तरह जिंदा रखे। जिसमें मध्य गोंडवाना के राजा लालश्याम शाह हो हर्रई पगारा के राजा ,धोकल सिंह मरकाम ,कंगला माझी मंगरू उईके हों या उनके बाद आंदोलन को चलाने वाले प्रथम पंक्ति में सुन्हेर सिंह ताराम मोतीरावन कंगाली शीतल मरकाम हीरा सिंह मरकाम, व्यंकटेश आत्राम,के बी म