''हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की अच्छी प्रस्तुति हो ! ''आदिवासी समाज के युवाओं में जिस तरह से एक चेतना का संचार हो रहा है ! इससे लगता है कि ये समाज को एक नई दिशा दे सकेंगे ! सबसे बड़ी बात यह हो रही है की युवा अब अपने धर्म ,संस्कृति ,सभ्यता,इतिहास को अन्यों की नहीं बल्कि अपनी दृष्टी से देखना शुरू कर दिए है ! महत्वपूर्ण बात यह भी है की युवा अब ज्ञान संग्रह की अभिलाषा रखने लगे ! यही संग्रहित ज्ञान उन्हें अपना इतिहास लिखने में सहायक होगा ! आदिवासी समाज के सामाजिक ,सांस्कृतिक मूल्यों की अच्छी प्रस्तुति ,से गैर आदिवासी जो जनजाति की सूचि में नहीं है ,परन्तु वह मूलनिवासी है ,प्रभावित हुए बिना नहीं रह पायेगा ! इसका कारण भी है कि वह भले ही वह हिंदूवादी जाल में फंसा है पर कही न कही आदिवासी संस्कृति के अन्दर अपने आप को पाता है ! जिन्हें आज हम सवैधानिक भाषा में पिछड़ा वर्ग ,अनुसूचित जाति की सूचि में पाते हैं ! वे और कोई नहीं अपने ही लोग हैं ! जिन्हें देश की मूल संस्कृति से अलग