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Showing posts from December, 2019

CAA कानून के आने से आदिवासी समाज में क्या प्रभाव पड़ेगा ?

" CAA कानून के आने से आदिवासी  समाज में क्या प्रभाव पड़ेगा ? ( इस विषय पर परिचर्चा, जनचर्चा, ज्ञापन, प्रदर्शन कर रद्द कराने में देश के सभी आंदोलनकारियों के साथ खड़े होकर अपना योगदान दें।) इस  कानून में संविधान की छठवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति, पहचान और जनसंख्या को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की  संरक्षा और बंगाल पूर्वी सीमांत  विनियम- 1973 की "आंतरिक रेखा प्रणाली"(inner line) के अंतर्गत आनेवाले क्षेत्रों को भी कानूनी संरक्षण प्राप्त है, को बरकरार रखा  गया है परंतु पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में आने वाले राज्यों के लिये किसी भी प्रकार का एक्ट में जिक्र नहीं किया गया है । इसका मतलब यह भी होगा कि जिस तरह आसाम के स्थानीय गरीब लोग,अंग्रेजीकाल में चाय बगानों में गये विभिन्न राज्यों के भारतीय जो अपनी नागरिकता साबित करने में नाकाम हो रहे हैं।अब आदिवासी को भी अपने आप को भारत का नागरिक होना सिद्ध करना पड़ेगा। यानि आपकी पुरातन जड़ों को उखाड़ कर नये पौधों की कतार में खड़ा होना होगा,अब आप देश में विशेष नहीं रह जायेंगे। जो सरकार का आगामी एजेंडा &

"अपनी तो धूल नहीं रही है, दूसरों की धोने चले" ।

NRC/CAA "अपनी तो धूल नहीं रही है, दूसरों की धोने चले" । जब 1947 में बंटवारे के बाद जो लोग चाहे वो हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई बोद्ध जैन पारसी हो यदि उस देश को चॉइस से अपनाकर वहां के नागरिक बन गए । वे हमारे देश के लिए विदेशी हो गए । अब देश की सरकार को अपने देश के नागरिकों विकाश की प्राथमिकता से चिंता करनी चाहिए। कोई भी वर्ग या जाति जो अपने अपने देश में है ,वहां की सरकार अपने नागरिकों की चिंता करें। हमारे या किसी देश में वहां के नागरिकों के साथ कोई अन्याय होता है । तो विश्व मानवाधिकार संगठन हस्तक्षेप करता है। तब हमें दूसरे देशों के लोगों की क्यों चिंता करना चाहिये। इतनी उदारता दिखाकर भारत देश में बाहरी लोगों को बड़ी तादात में नागरिकता देकर भारत की जनसंख्या बढ़ाकर आफत और ,बेरोजगारी को निमंत्रण देना भारत के हित में नहीं। क्या बाहरी लोगों को नागरिकता देकर ही यह देश विकास करेगा ? एक ओर हम भारत की गरीबी बेरोजगारी के लिए जनसंख्यावर्द्धि को दोष देते हैं वहीं CAA लाकर जनसंख्या बढ़ाने में तुले हैं । क्या सत्ताधारी देश को डुबो देना चाहते हैं ? वैसे भी विश्व में हम विकास के हर मुद्दे पर पि

NRC, CAA और आदिवासी

"नागरिक संशोधन कानून" और "विदेशी शरणार्थी"  नागरिक संशोधन बिल २०१९ पास होना बहुत बड़ी भयावह स्थिति का संकेत है,ऐसे कानून की आरंभिक शुरुआत कांग्रेस ने भी की थी जिसमें बांग्लादेशी शरणार्थियों, सिंधी शरणार्थियों को भारत देश में बसाकर उन्हें देश के विभिन्न स्थानों की खाली भूमि इसमें कृषि, मैदानी और वन भूमि शामिल थी को दे दिया गया इस नये कानून में जहां 6 वीं अनुसूचि वाले राज्यों में प्रभावशील नहीं होने की बात जोड़ी गई है वहीं पांचवीं अनुसूचि के राज्यों के ऐसे क्षेत्र जहां पांचवीं अनुसूचि के अंतर्गत घोषित हैं इनका उल्लेख नहीं है। इसका सीधा मतलब है इन क्षेत्रों में भारत के बाहर से लाये जाने वाले शरणार्थियों को पुन: बसाये जाने की योजना है।ताकि आदिवासी जनसंख्या घनत्व कम की जा सके। जबकि पहले से बसाये गये  बंगला शरणार्थी सिंधी शरणार्थी देश के मूल निवासियों के लिए खतरा बने हुए हैं । अब जो कुछ भी बची जमीने हैं उन्हें बाहर के देशों से शरणार्थी बुलाकर देश की जमीन को उनको दे दिया जाएगा क्या भारत देश चारागाह का अड्डा है जिसकी भूमि बाहर से विदेशियों को लाकर दे दिया जाए और यहां के

एन आर सी और शरणार्थी

"नागरिक संशोधन बिल और शरणार्थी" नागरिक संशोधन बिल २०१९ पास होना बहुत बड़ी भयावह स्थिति का संकेत है,जिसकी आरंभिक शुरुआत कांग्रेस ने भी की थी जिसमें बांग्लादेशी शरणार्थियों, सिंधी शरणार्थियों को भारत देश में बसाकर उन्हें देश के विभिन्न स्थानों की खाली भूमि इसमें कृषि मैदानी और वन भूमि शामिल थी को दे दिया गया आज वही बंगला शरणार्थी सिंधी शरणार्थी देश के मूल निवासियों के लिए खतरा बने हुए हैं । अब जो कुछ भी बची जमीने हैं उन्हें बाहर के देशों से शरणार्थी बुलाकर देश की जमीन को उनको दे दिया जाएगा क्या भारत देश चारागाह का अड्डा है जिसकी भूमि बाहर से लाकर लोगों को भी दे दिया जाए और यहां के मूल निवासियों को उनकी जमीन से बेदखल उनके कानूनी अधिकारों से वंचित कर उन्हें नक्सलवादी करार देकर मारा जाए जब बात है कि हिंदू सिख बौद्ध पारसी आदि को यहां बसाने की बात है तब वहां के मुस्लिमों के लिए भी यह बात लागू होना चाहिए लेकिन यह सोची-समझी साजिश के तहत किया जा रहा है इसलिए इसका जोरदार विरोध हो। भले यह बिल लोकसभा राज्यसभा में पारित होकर लागू भी हो जाए पर इसके दूरगामी परिणाम को जनता के बीच लाकर जागरू

एन आर सी और आदिवासी क्षेत्र

"एन आर सी के तहत आदिवासी भी अपने इलाके में प्रभावित होने से नहीं बचेगा इसलिए समय पूर्व सावधानी जरूरी है" मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सहित अन्य अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत पांचवी एवं छठी अनुसूची मैं आने वाले राज्य जिला एवं विकासखंड अपने क्षेत्रों में बसे अवैधानिक रूप से सिंधी और बंगाली शरणार्थियों को बाहर करने के लिए आंदोलन चलाएं सबसे पहले ज्ञापन फिर धरना फिर आंदोलन इसमें यह लिखा जाए की पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में इन शरणार्थियों को पहुंचाने का बस आने का अध्यादेश कब जारी हुआ यदि इन क्षेत्रों में इस तरीके का कोई भी संसदीय विधानसभा से कोई फरमान जारी हुआ है तो वह संवैधानिक रूप से अवैध है इसलिए ऐसे हालात में पुनः आपके इन आरक्षित क्षेत्रों में बाहर के शरणार्थियों को बसा दिया जाएगा ऐसे में यदि आप पूर्वोत्तर की तरह आंदोलन हो उससे पहले अपनी मंशा सरकार और जनता के बीच जाहिर कर दें,अन्यथा समय पूर्व जागृति नहीं होने से,nrc कानून आपके इलाकों में जबरदस्ती थोप दी जाएगी,तत्काल विरोध करने पर आपको पुलिस और मिलिट्री के बंदूक का सामना करना पड़ेगा।जिसका सामना आप नहीं कर पाएंगे। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक

आपकी भी जिम्मेदारी है।

"आपकी भी जिम्मेदारी है" क्या देश में  पुलिस,अर्द्धसैनिक बल,और मिलिट्री के जवानों में संविधान की समझ नहीं होती ? सत्ताधारी यदि राष्ट्र में असंतोष फैलाये, मनमानी करने लगे, देश के संविधान की धज्जियां उड़ाने लगे तब क्या,हमारे सैनिकों को इस पर विचार नहीं करना चाहिये ? आज जब देश के बुद्धिजीवि ,अर्थशास्त्री, न्यायविद , कलाकार , और नामी सामाजिक संगठन और विचारक,देश की अर्थव्यवस्था , मंहगाई,अत्याचार और देश का विश्व समुदाय में गिरते साख पर लगातार चिंता की जा रही है, तब ऐसे मौके पर आपको भी हस्ताक्षेप करना होगा, देश का नागरिक कहीं ना कहीं दुखी हैं,प्रताड़ित है। चूंकि वह कहीं आपका पिता,माता भाई बहन पत्नि बेटा भतीजा भी है,कहीं पर वह आपका परम मित्र हैं, पड़ोसी है, क्या बिना सोचे समझे उस पर गोलियां चला  दोगे। नहीं जितनी जिम्मेदारी आपकी देश रक्षा की है उतनी ही जिम्मेदारी देश के नागरिकों की रक्षा और उनके वाजिब हक अधिकारों पर अपना दखल रखने की है। आप अंग्रेजी राज्य के सैनिक मत बनो,जो चंद शासकों के पागलपन के आदेश पर अपनों पर ही गोलियां चला दो। आज देश अंग्रेजों से मुक्त है। आज आपको देश हित समाज ह

विभिन्न राजनीतिक दलों की शाखा और प्रभाग की जिम्मेदारी

"विभिन्न दलों के आदिवासी (जनजाति) शाखा/प्रभाग और मोर्चा की जिम्मेदारी तय हो" यदि किसी राजनीतिक दल की आदिवासी(जनजाति) शाखा/मोर्चा या प्रभाग के नेता कहते हैं कि हम सब आदिवासी एक हैं तब ऐसे सभी दलों के संबद्ध आदिवासी(जनजाति)  मोर्चा के कार्यकर्ताओं की संयुक्त बैठक होनी चाहिए । ताकि आदिवासी हित में वे अपने अपने दलों पर दबाव बना सकें यदि कोई दल अपने मोर्चा की बात नहीं माने तो उसकी पूरी इकाई अन्य दल के आदिवासी मोर्चा में बेझिझक शामिल होने का ऐलान कर दे। यदि इन दलों के मोर्चा एकजुटता का परिचय नहीं देते तो आदिवासी (जनजाति) समुदाय उनका बहिष्कार कर दे, आखिर किसी दल ने आदिवासी (जनजाति) शाखा खोल रखा है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसका पदाधिकारी केवल आदिवासी वोट संग्रह के लिए है। जिस तरह राजनीतिक दलों के अरक्छित छेत्र से चुने हुए जनप्रिनिधियों की जिम्मेदारी समुदाय हित के लिए है,उससे भी बड़ी जिम्मेदारी दलों के आदिवासी शाखा/प्रभाग या मोर्चा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी की है , जो जनप्रतिनिधि के लिए समुदाय के पास वोट मांगने जाता है। समुदाय को चाहिए कि इन शाखाओं पर भी कड़ी नजर रखे। (गुलजार सिंह

gondwana aur aadivasi rajniti

"गोंडवाना और आदिवासी राजनीति का भविष्य" एक विश्लेषण (लेखक के अपने निजी विचार हैं आवश्यक नहीं कि इससे सभी सहमत हों) गोंडवाना की भाषा धर्म संस्कृति ऐतिहासिक धरोहर काफी समृद्ध है। परन्तु इसके नाम का राजनीतिक पक्छ काफी कमजोर दिखाई दे रहा है, राजनीति में जिस कोर वोट के दम पर आगे बढ़ा जा सकता था वह कोर आदिवासी हो सकता था परन्तु आदिवासी शब्द का परहेज,या परिणाम मूलक प्रयास नहीं होना भी शायद गोंडवाना के राजनीतिक  भविष्य को स्थापित  नहीं कर सका,यही कारण है कि जिन बड़े आदिवासी समूहों, भील,भिलाला बरेला,कोरकू कोल, शहरिया, भूमिया, और तो और गोंड की उपजातियां प्रधान मवासी बैगा भारिया का भी इस राजनीतिक आंदोलन से दूरी बनाए रखना कहीं ना कहीं इस तरह की राजनीतिक स्वीकारिता को  नजरअंदाज करते नजर आता है। गोंडवाना आंदोलन के अन्य क्रियाकलाप यथा इतिहास धर्म संस्कृति रूडी परंपराओं के विभिन्न धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों के प्रयास से यह कोर आदिवासी समुदाय काफी हद तक प्रभावित हुआ है।अपने आचरण में बदलाव ला रहा है। सांस्कृतिक रूप से "जय सेवा जय जोहार" जैसे संयुक्त शब्दावली को आत्मसात कर