'' राहुल गांधी ने विधेयक के पन्ने फाडने वाली बात करके तानासही मानसिकता का परिचय दिया है ।''- ( गुलजार सिंह मरकाम) अभी हाल ही में सुप्रीम कोंट्र्र द्वारा जनप्रतिनिधियों को अपराधी होने पर दो वर्श की सजा होने पर प्रतिनिधित्व से अयोग्य घोशित किये जाने संबंधी विशय पर संसद में लाये जाने वाले विधेयक के प्रस्ताव के पन्ने फाड देने संबंधी समाचार पत्रों के माध्यम से की गई टिप्पडी प्रजातंत्र व्यवस्था में षर्मनाक और तानाषाही मानसिकता का परिचायक है । यह मामला संसद और संविधान का है । इस पर किसी एक व्यक्ति के कहने पर विधेयक के प्रस्ताव को रोक देना या ले आना संसद और संविधान का अपमान है । संविधान तथा संसद सर्वोपरि है । नियमानुषार विधेयक के प्रस्ताव को लाया जाना था । संसद में आम जनता के प्रतिनिधि इस पर बहस करते । जिसे सारी दुनिया देखती इस पर जो भी परिणाम आता संवैधानिक रूप से वह जनता का फैसला माना जाता । लेकिन विधेयक के प्रस्ताव के पन्ने फाड देने की बात करके विधेयक के रोकने की पूर्व नियेजित योजना का मोहरा राहुल गांधी को बनाकर कांग्रस का थोथी लोकप्रियता हासिल करने तथा विध...