"प्रजातंत्र प्रणाली में राजनीति ताकत के महत्व को समझे आदिवासी समुदाय।" संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल शक्तिहीन राज्य और राष्ट्र के प्रमुख हैं तब आदिवासी समुदाय इनके संरक्षण में कैसे अधिकार सम्पन्न हो सकता है। इसलिये हमें इनके भरोशे किसी भी जनविरोधी आदिवासी विरोधी कानून में दखल देकर उन्के हितों के संरक्षण की आशा कैसे की जा सकती है। इसलिये आदिवासी समुदाय को चाहिये कि वह लोकतंत्र प्रणाली में वोट की राजनीतिक ताकत पैदा करके अपने हितों का संरक्षण कर सकती है। आदिवासी समुदाय अपने राज्य और राष्ट्र के कथित हित संरक्षक से पांचवीं अनुसूचि पेसा कानून या वनाधिकार कानून जैसे मुददों पर उम्मीद करना बेमानी होगी। इसलिये कहा जाता है कि राजनीतिक एक एैसी मास्टर चाबी है जिससे हर समस्या रूपी बंद ताले को खोला जा सकता है। (गुलजार सिंह मरकाम रा0सं0गों0स0क्रां0आं0)