हमारे देश में विचारधाराएं अपने विचार को समाहित किए झंडे, रंगो, स्मृति चिन्हों में संगठन के नामों,नारों, स्थापित स्मारकों, साहित्य के शब्दों में दिखाई पड़ते हैं । इसे ही कहा जाता है एक सोच, एक विचार, एक व्यवहार इसी बल से एक विचारधारा अपेक्षित परिणाम की उम्मीद लिए समाज में अपनी विचार को प्रवाहित करती रहती है । समाज का कुछ हिस्सा जाने अनजाने अति प्रचार या भावुकताता में त्वरित या तात्कालिक लाभ को देखकर उस धारा में बहने लगता है । हमारे देश का जनमानस अनेकों बार अनेकों विचारधारा में बहकर छला जा चुका है और लगातार छला जा रहा है, यह जनमानस विचारधाराओं की नई-नई प्रस्तुतियों से देश के मूल बीज और मूल विचारधारा को भुला बैठा है अब देशवासियों को दक्षिणपंथी मनुवादी हिंदुत्व, कट्टर इस्लामी, साम्राज्यवादी इसाईयत,भौतिकवादी नास्तिक साम्यवाद सहित कथित देसी सामाजिक न्याय की समाजवादी विचार धारा,व्यवस्था परिवर्तन के लिए प्रतिशोध की भावना से स्थापित संगठनों के बहाव में बहना बंद कर देना चाहिए । उपरोक्त सभी विचारधाराएं अपना रंग रूप और लक्ष्य के लिए आपको अपनी अपनी विचारधारा मैं बहाकर अपना लक्ष्य हासिल करना चाहती ...