सरकारों के द्वारा प्रति यूनिट 5 किलो राशन देना मतलब गरीबों को निर्भर और लाचार भिखारी बनाये रखना है । सरकार क्या जीवन पर्यन्त ऐसा करेगी । यदि करेगी भी तो इस राशन से लोग अपने बाल बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य समृद्धि जैसे विषयों से निजात पा लेंगे ? क्या सरकार या बुद्धजीवी यह नहीं जानता कि राशन आपातकाल के लिए दिया जाता है , अभी कोई आपातकाल नहीं है। ऐसे अतिशेष अनाज का निर्यात कर भारत के राजकोषीय घाटे को कम किया जाय । तथा जनता को स्वाभिमानी आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए रोजगार और नौकरियों का सृजन करने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि हमारे देश का नागरिक आत्मनिर्भर बन सके उसकी क्रय क्षमता बढ़े, निर्भर भिखारी नहीं ! तभी हमारा देश आत्मनिर्भर और सशक्त अर्थव्यवस्था का अग्रणी बन पायेगा। "निर्भरता से निर्बलता , निर्बलता से "लाचारी" पनपती है , लाचारी से "पिछलग्गूपन" इससे "गुलामी" और गुलामी में "स्वाभिमान" मर जाता है। और मरे स्वाभिमान का व्यक्ति या कौम क्रांति नहीं कर सकती। -गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांत...