पार्टी और दल व्यवस्था ने देष में स्वतंत्र प्रजातंत्र आने से रोक दिया । संविधान निर्माताओं ने देष की व्यवस्था को चलाने के लिये गणतंप व्यवस्था लागू कर जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ राज्य की बागडोर देकर व्यवस्था को चलाना । इसलिये संविधान ने देष को राश्ट नहीं गणराज्य कहा । इसलिये जनता का जनता के लिये जनता द्वारा चलायी जाने वाली व्यवस्था को लोकतंत्र व्यवस्था कहा गया । जनहित में किसी कान ून को बनाने के लिये सदन के बहुमत को महत्वपूर्ण माना गया है । संविधान निर्माण के बाद लगातार इसी नियम के तहत कार्य चलता रहा । लेकिन चालाक नेताओ खासकर कांग्रेष के स्वयंभू नेताओं को लगा कि यह संसद इसी तरह चलता रहा तो मुखिया नेताओं की नहीं चलेगी । आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधियों पर कोर्इ जोर नहीं चल पायेगा । इस कारण से सदन में बहुमत प्राप्त दल को व्यवस्था की बागडोर दिये जाने का प्रावधान लाकर जन तंत्र की जगह पार्टीतंत्र को स्थापित किया गया। जबकि आज भी पूर्व प्रकि्रया के तहत ही कानून पारित होते हैं परन्तु पार्टी तंत्र के कारण बहुमत दल मनमानी करने लगता है । जोडतोड से जनविरोधी कानून भी पास करा लेत...