"प्रकृति शक्ति फडापेन सजोर पेन का प्रतीक चिन्ह" प्रकृति शक्ति फडापेन सजोर पेन का प्रतीक चिन्ह आज सम्पूर्ण गोंडियन गणों में आस्था और विष्वास के रूप में स्थापित हो चुका है । षनैः षनैः इसे जानने की जिज्ञासा जाति व्यवस्था के जाल में फंसकर हमसे दूर हो चुके अन्य गोंडियन गणों में दिखाई दे रही है । वहीं दुष्मन की नजर भी इस पर लगातार है । एैसे मौके पर इस प्रतीक की गरिमा और व्यापकता का विषेष घ्यान रखने की आवष्यकता है । अन्यथा आस्था और विष्वास अंधश्रद्धा में बदलकर फडापेन की गरिमा और व्यापकता को सीमित कर सकती है । मूलनिवासी गणों की हजारों वर्ष पुरानी मान्यतायें जो पूर्ण वैज्ञानिकता लिये हैं । आज उनकी अच्छी प्रस्तुति या व्याख्या के अभाव में पिछडेपन का प्रतीक बनकर कथित विकसित समाज के सामने कमजोर दिखाई देती हैं । चूंकि गोंडियन गणों का मूल दर्षन पूर्णतः जीव जगत कल्याण और प्रकृति संतुलन पर आधारित है इसलिये हमें सावधानी बरतने की आवष्यकता है । (मुझे एक पुस्तक पढने का अवसर मिला जिसके लेखक कोई वरकड हैं जो नागपुर से ही प्रकाषित हुई है इस किताब में तिरूमाल वरकड ने इस प्रतीक चिन्ह सहित ...