"राजस्थान का अनुसूचित जनजाति "मीना /मीडा" जनजाति आरक्षण का सुरक्षा कवच है।"
इन बातों को लिखने से पहले मैंने आरक्षण समर्थकों के आरक्षण सम्बन्धी बयान पर मीडिया का रुख देखा। बचाव पक्ष में उन्हें साप ने सून्घ लिया। वहीं नवभारत टाइम्स जैसे अखबारों में आरक्षित वर्ग के विरोध में लिखने वाले पत्रकारों को आरक्षित वर्ग को नकारा साबित करने की खुली छूट दी गयी है। साथ ही एक तीर से दो शिकार करते हुए आरक्षित वर्ग का मजबूत और ताकतवर हिस्सा मीना,मीडा पर राजस्थान में गुर्जरों को अनुसूचित जनजाति में आने से रोकने वाला दुश्मन बताये जाने की कोशिश की जा रही है। इस मीडिया प्रवाह में हमारे कुछ लोग भी बहने की कोशिश करते हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि पहले हमअपने घर की सुरक्षा में ध्यान केंद्रित करें कि कोई अन्दर न आये। पर अन्दर आने वाले की तरफ न देखकर घर के पहरेदार को ही हटाने में अपनी ताकत लगे तो बाहरी का प्रवेश सम्भव है। इसी तरह यदि महाराष्ट्र में गोन्ड समुदाय धनगरो को जनजाति में शामिल नहीं किये जाने का आन्दोलन करता है तो क्या बुरा करता है।कही ऐसा न हो कि कुछ लोग गोन्ड जनजाति को मुद्दा बनाकर आरक्षण के पहरेदार पर क्रीमीलेयर का ठप्पा लगाकर बाहर करने का प्रयास किया जाए।ध्यान रखें जनजाति में गोन्ड के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका लम्बित है। आरक्षण जैसे सम्वेदनशील मुद्दे पर सतर्कता जरूरी है भले ही इसे हटाना आसान नहीं है,पर इसके माध्यम से देश को ग्रहयुद्ध में धकेला जा सकता है।
इन बातों को लिखने से पहले मैंने आरक्षण समर्थकों के आरक्षण सम्बन्धी बयान पर मीडिया का रुख देखा। बचाव पक्ष में उन्हें साप ने सून्घ लिया। वहीं नवभारत टाइम्स जैसे अखबारों में आरक्षित वर्ग के विरोध में लिखने वाले पत्रकारों को आरक्षित वर्ग को नकारा साबित करने की खुली छूट दी गयी है। साथ ही एक तीर से दो शिकार करते हुए आरक्षित वर्ग का मजबूत और ताकतवर हिस्सा मीना,मीडा पर राजस्थान में गुर्जरों को अनुसूचित जनजाति में आने से रोकने वाला दुश्मन बताये जाने की कोशिश की जा रही है। इस मीडिया प्रवाह में हमारे कुछ लोग भी बहने की कोशिश करते हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि पहले हमअपने घर की सुरक्षा में ध्यान केंद्रित करें कि कोई अन्दर न आये। पर अन्दर आने वाले की तरफ न देखकर घर के पहरेदार को ही हटाने में अपनी ताकत लगे तो बाहरी का प्रवेश सम्भव है। इसी तरह यदि महाराष्ट्र में गोन्ड समुदाय धनगरो को जनजाति में शामिल नहीं किये जाने का आन्दोलन करता है तो क्या बुरा करता है।कही ऐसा न हो कि कुछ लोग गोन्ड जनजाति को मुद्दा बनाकर आरक्षण के पहरेदार पर क्रीमीलेयर का ठप्पा लगाकर बाहर करने का प्रयास किया जाए।ध्यान रखें जनजाति में गोन्ड के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका लम्बित है। आरक्षण जैसे सम्वेदनशील मुद्दे पर सतर्कता जरूरी है भले ही इसे हटाना आसान नहीं है,पर इसके माध्यम से देश को ग्रहयुद्ध में धकेला जा सकता है।
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