नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों को टारगेट बनाया जाना काफी पुरानी बात हो चुकी है इस टारगेट में अब तक हजारो आदिवासी मरे जा चुके है बीजेपी सरकार के एस पी ओ बटालियन हो या कांग्रेश द्वारा चलाया गया सलवा जुडूम दोनों ही एक सिक्के के दो पहलु है दोनों का लक्छ्य दोनों और से आदिवासी मरे ! दोनों कार्यक्रम आदिवासी को बचाने के लिए चलाया गया लेकिन इनमे आदिवासी का ही बड़ा नुकसान हुआ फायदा इन दोनों दलों का हुआ आदिवासियों ने इनकी सर्कार को अपना समझा कमुनिस्ट पार्टी भी इन्हें अपना बनाने के लिए कोई कार्यक्रम चलाती है तो कोई अलग नहीं है परन्तु सत्ताधारी अ एवम बी टीम जो अन्दर से एक हैआदिवासिओ को दूसरे के साथ क्यों जुड़ने देंगे लड़ाई बस इसी बात की है जल जंगल जमींन से हर जगह आदिवासी बेदखल हो रहा है चुकी वहा आदिवासी अ या ब टीम का सहारा है इसलिए कोई बात नहीं इसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों में प्रारम्भिक समय में यही स्तिथि थी छठवी अनुसूची लागु होते ही जब जल जंगल जमींन का अधिकार आदिवासी स्वायत्त परिषदों के हाथ में आई समस्या समाप्त ! प्रारम्भ में उन राज्यों में भी सुरछा बलो का प्रयोग किया गया ! स्वायत्ता से वह शांति है छत्तीसगढ़ को भी छठवी अनुसूची में लाकर शांत किया जा सकता है ! नरसंहार सही है लेकिन स्वायत्ता के लिए कोई प्रयास नहीं किया जायेगा ! क्युकि जल जंगल जमींन को हडपना है ! इस तरह का माहोल बनाये रखना है ! आदिवासी हितेषी होने का राग अलापते रहना है ! इस काम में मुर्ख आदिवासी नेताओ को अपना मोहरा बनाकर उपयोग करते रहना है ! लकड़ी को काटने के लिए लोहे के साथ लकड़ी का बेत अवश्यक है ! यही बेत का काम आदिवासी नेता कर रहे है !
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
Comments
Post a Comment