"रोहित वेमुला के भाई और मा ने हिन्दू धर्म त्यागा " हमारे देश में १४ अप्रैल २०१६ को एक बडी घटना" धर्मांतरण को लेकर घटी है। जिसने २६ सौ साल पहले मनुवादी व्यवस्था की अमानवीयता से उपजे बौद्ध धर्म, इसी मनुवादी व्यवस्था से मुक्ति पाने के लिए जैन पन्थ , सिख पन्थ तथा मुस्लिम और ईसाई धर्म में इस देश का मूलनिवासी आश्रय लेकर कुछ राहत से सम्मान से जीवन जी रहा है। बुद्धिजीवी अब पूरी तरह से आश्वस्त हो रहा है कि कथित"हिन्दू" नाम के इस धर्म में केवल ब्राह्मण ही सुख,सम्रद्धि और सम्मान का हकदार है बाकी लोग केवल अपमान सहते हुए"फील गुड" में जीने को अपना भाग्य और नियति माने ।
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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