"भारत में फासीवादी राजनीति आरंभ हो चुकी है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम के माध्यम से भयभीत कर दिया है,कुछ विपक्षी दल के सांसदों को मोदी और शाह की टीम ने प्रायोजित तरीके से जितवाया है और हरवाया भी है, जिसमें ईवीएम का रोल महत्वपूर्ण रहा है देश के सभी विपक्षी राजनीतिक दल अपने आप को कमजोर महसूस कर रहे हैं अब उनके नेता मोदी की कृपा से जीतने के लिए मोदी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं यदि ज्यादा बोला तो जांच बैठा दी जाती है यह सीधा सीधा दबाव और आतंक की राजनीति है जिसमें सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर साथ ही सामाजिक संगठनों का साथ लेकर मोदी के इस आतंक को रोकना होगा अन्यथा भय और आतंक इतना बढ़ जाएगा की सरकार कुछ भी करें उसके खिलाफ कोई भी नहीं बोल पाएगा अंततः इस देश में आर एस एस की कल्पना को एकात्म राष्ट्रवाद या जिसे फासीवाद भी कहा जा सकता है के माध्यम से देश का शासन चलने लगेगा तब फासीवाद का कोई विरोधी नहीं होगा सिर्फ फासीवाद के आसरे पर उनके इशारों पर चलने वाला ही खड़ा हो सकता है आंदोलनकारियों को या तो जेल या तो माबलिंचिग के माध्यम से हटा दिया जाएगा यही है फासीवाद यही है तानाशाही यही है राष्ट्रीय एकात्मवाद का सिद्धांत । यह समय भारत में इमरजेंसी की तरह होगा आम नागरिक की कोई सुनवाई नहीं होगी । देश की अधिकांश राजनीतिक पार्टियां जो मनुवादी विचारकों या कहें सवर्णों के हाथ में हैं यह सब शरणागत हो जाएंगे। मानववाद इश्यूज के लोग या मूलनिवासी लोग गुलाम हो चुके होंगे। अभी भी समय है मूलवासी मूलनिवासी संगठन और उनके राजनीतिक दल आपस में एक साथ बैठकर कोई रास्ता निकालें अन्यथा फासीवाद को आने से इस देश में रोका नहीं जा सकता। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम के माध्यम से भयभीत कर दिया है,कुछ विपक्षी दल के सांसदों को मोदी और शाह की टीम ने प्रायोजित तरीके से जितवाया है और हरवाया भी है, जिसमें ईवीएम का रोल महत्वपूर्ण रहा है देश के सभी विपक्षी राजनीतिक दल अपने आप को कमजोर महसूस कर रहे हैं अब उनके नेता मोदी की कृपा से जीतने के लिए मोदी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं यदि ज्यादा बोला तो जांच बैठा दी जाती है यह सीधा सीधा दबाव और आतंक की राजनीति है जिसमें सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर साथ ही सामाजिक संगठनों का साथ लेकर मोदी के इस आतंक को रोकना होगा अन्यथा भय और आतंक इतना बढ़ जाएगा की सरकार कुछ भी करें उसके खिलाफ कोई भी नहीं बोल पाएगा अंततः इस देश में आर एस एस की कल्पना को एकात्म राष्ट्रवाद या जिसे फासीवाद भी कहा जा सकता है के माध्यम से देश का शासन चलने लगेगा तब फासीवाद का कोई विरोधी नहीं होगा सिर्फ फासीवाद के आसरे पर उनके इशारों पर चलने वाला ही खड़ा हो सकता है आंदोलनकारियों को या तो जेल या तो माबलिंचिग के माध्यम से हटा दिया जाएगा यही है फासीवाद यही है तानाशाही यही है राष्ट्रीय एकात्मवाद का सिद्धांत । यह समय भारत में इमरजेंसी की तरह होगा आम नागरिक की कोई सुनवाई नहीं होगी । देश की अधिकांश राजनीतिक पार्टियां जो मनुवादी विचारकों या कहें सवर्णों के हाथ में हैं यह सब शरणागत हो जाएंगे। मानववाद इश्यूज के लोग या मूलनिवासी लोग गुलाम हो चुके होंगे। अभी भी समय है मूलवासी मूलनिवासी संगठन और उनके राजनीतिक दल आपस में एक साथ बैठकर कोई रास्ता निकालें अन्यथा फासीवाद को आने से इस देश में रोका नहीं जा सकता। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)
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