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हर हर मोदी घर घर मोदी।।

"आंधी के रुख को देखना होगा। इसमें मिले जहर को परखना होगा।।" हर हर मोदी घर घर मोदी के खोखले विकास की आंधी के साथ गांव में कुछ और भी पहुंचा है। ग्राम्य संस्कृति,संस्कार स्वावलंबन, स्वशासन और संसाधन पर हमला से आर्थिक गुलामी का धीमा जहर जो मनुवादी विचार का निर्धारित लक्छय है। (गुलज़ार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

भक्तिकाल की परिस्थितियां और वर्तमान दौर"

"भक्तिकाल की परिस्थितियां और वर्तमान दौर" जब भारत देश में भक्ति काल के समय मनुवाद का आतंक था उस समय समाज सेवा का काम करने वाले लोग मनुवाद के खिलाफ सीधा संघर्ष ना करते हुए दोहे गीत और कविताओं के माध्यम से लोगों को जागृत करने का काम करते थे ऐसे महात्माओं जिनमें नानक ,कबीर दास, रविदास, चोखा मेला जैसे कवि लोगों को मनुवाद के विरुद्ध, जनमानस तैयार करने में आसानी हो, ताकि हम मानवीय अत्याचारी व्यवस्था का समूल नष्ट हो सके। आपको बता दूं कि आज भी मनुवाद के खिलाफ सीधा भाषण देने या किताब लिखकर उसका विरोध करने की बजाय आज कवि सम्मेलनों के माध्यम से लोगों में वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ बात कही जा रही है तो ऐसे आयोजनों को सरकार भी मना नहीं कर सकती ,यही समय और परिस्थितियां कबीर नानक और रविदास के जमाने में थी उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करके एक बड़ा माहौल पैदा करने का काम किए जो आज भी हमारे लिए अविस्मरणीय हैं। इसलिए मेरा मानना है की ट्राईबल मूवमेंट में इनडायरेक्ट कहने वाले कवि पैदा हो, जिससे छोटे बड़े पढ़े लिखे लोग भी उसे मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान का लाभ लेकर वर्तमान व्यव...

"एकता और संगठन के लिए कुछ भी करो।"

"एकता और संगठन के लिए कुछ भी करो।" आदरणीय सगा जनों मैं चाहता हूं कि २४,२५ अगस्त पोर्ट ब्लेयर अंडमान निकोबार के धर्मकोड/ धर्म कालम के इस सेमिनार में सभी आदिवासी, जनजाति,  देशज बंधु अपने अपने अहम को छोड़कर आदिवासी, जनजाति, ट्राइबल यदि यूनिटी के लिए थोड़ा कोसैक्रिफाइ करके एक जुटता का परिचय देंगे, इसी तरीके से हमारी ताकत का लोहा मनवाया जा सकता है यही एकता हमारे समस्याओं के निदान का कारक बन सकता है इसलिए पुनः अपील है की पोर्ट ब्लेयर सेमिनार में एक साथ एक आवाज और एक नाम के साथ देश को एक संदेश देंगे कि "एक तीर एक कमान सभी जनजाति एक समान" गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

अस्वस्थता में परहेज आवश्यक है।"

"अस्वस्थता में परहेज आवश्यक है।" देश में हजारों चैनल हैं कम से कम ABP या इस तरह के चैनलों से परहेज़ रखो,कि वह तुम्हारे दिमाग को कैसे डाइवर्ट करता है या किया जा रहा है, यदि देखते हो तो समझकर,उसकी तोड़ निकालकर,जनता के सामने प्रस्तुत करें। यही आपकी बुद्धिमानी है अन्यथा सोशल मीडिया में अपनी छोटी और ओछी बातों से बुद्धिजीवियों को बोर मत करो। (गुलज़ार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संजोयक गोंडवाना समग्रक्रांति आंदोलन)
"ओबीसी, एससी और हमारा आदिवासी समुदाय" ओबीसी ने गुजरात के हार्दिक पटेल,तथा अनुसूचित जाति ने जिग्नेश मेवानी को साथ देकर हीरो बना।क्या जनजाति समुदाय ने "डा हीरा अलावा" को उस स्तर तक सम्मान देने की कोशिश की, यही पर आदिवासी समुदाय केकड़ा मानसिकता का परिचय दे देता है,इस पर हम चिंतन करना चाहिए। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

हर रचनात्मक कार्य को प्रोत्साहन दें।

"गोंडवाना भूमि के आदीवासी आंदोलन के हर रचनात्मक कार्य  को प्रोत्साहन दें" साथियों गोंडवाना आंदोलन में हर व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी न किसी स्तर पर कुछ करने की कोशिश करता है, कर रहा है परंतु उसकी गंभीरता को समझना सबकी जिम्मेदारी है यदि कोई रचनात्मक काम हो रहा है और वह सही दिशा में है तो उसका भरपूर सहयोग और समर्थन करना चाहिए सिवनी जिले से एडवोकेट रावेन शाह उइके जी ने " कोयां दा विजन" के माध्यम से एक ऑनलाइन साक्षात्कार का आयोजन किया है निश्चित ही वह हमारे समुदाय के लोगों को किसी भी साक्षात्कार में सफल होने में सहायक प्रतीत हो रहा है इसलिए अधिक से अधिक लोग इसमें भाग लेकर आयोजक के साथ उस संस्था का जो अपने स्तर पर प्रतियोगी परीछाओ के सामान्य ज्ञान में बढ़ोतरी का प्रयास कर रहा है, उसमें भाग लेकर संस्था और संस्था के संचालकों को प्रोत्साहित किया जाए। इसी तरह एक और मित्र ट्राईबल एप के नाम पर अपने रचनात्मक कार्य को समुदाय के बीच प्रसारित करने का प्रयास कर रहा है ऐसे संचालक को भी प्रोत्साहित करके हम अपने समुदाय के चहुमुखी विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं (गुलजार सिंह...

मोदी और शाह से भयभीत हैं भाजपा के मंत्री विधायक और सांसद।

"मोदी और शाह से भयभीत हैं भाजपा के सांसद,विधायक और पदाधिकारी ।" और अंदर ही अंदर से भयभीत है कथित उच्च वर्गीय समुदाय भी,जो भाजपा को अपना संगठन मानकर चलती है। अब तक जिस आर एस एस ने सत्ता को अपने इशारों पर नाचने का नचाने का प्रयास किया उसकी आंतरिक ताकत भी कमजोर दिखाई देने लगी, कारण की मोदी और शाह उस ओर बढ़ रहे हैं जहां उन्हें कोई संगठन या पदाधिकारी से डरने की जरूरत नहीं वह उन्हें भी अपनी कमांड में लेकर भय का वातावरण तैयार करके तानाशाह बनना चाहते हैं । यही नहीं जितने भी आर एस एस और भाजपा के अग्रणी नेतृत्व थे उन्हें धीरे धीरे किनारे लगा दिया गया और लगाते जा रहे हैं । यह जोड़ी भाजपा और आर एस एस के बीच भी इतना भय पैदा कर चुकी है कि कोई भी नेता,मोदी या शाह के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोल पा रहे हैं । उनके अच्छे या बुरे कामों की आलोचना नहीं कर पा रहे हैं। इससे लगता है कि भारतीय लोकतंत्र तानाशाही सत्ता की ओर बढ़ रहा है । अन्य विपक्षी यदि सामने खड़ा होकर विरोध करते हैं तो उन्हें किसी न किसी तरह उलझाने या फसाए जाने का प्रयास भी तानाशाही का एक नमूना है अर्थात विरोधियों को खड़ा नहीं होने ...