भोपाल. स्वतंत्रता संग्राम के अमर षहीद सरदार विष्नू सिंह गोंड की स्मृति में गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद का 16 राश्टीय स्तर का सम्मेलन बैतूल जिला मुख्यालय मेंदिनांक 24 25 26 दिसंबर 2011 को आयोजित है ।कोईतुर गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देष भर के जनजातीय संबंधी साहित्यकार लेखक एवं उनके साहित्य का उदवाचन होगा । गोंडवाना के सामाजिक धार्मिक आथर््िाक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विशयों पर विद्ववानों के द्वारा विचार प्रस्तुत किये जायेंगे ।कविताओं के माध्यम से गोंडियन दर्षन की रसगंगा बहाई जायेगी । प्रदेष भर के सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा अपने पारंपरिक नृत्य एवं गीतों के माध्यम से गोंडवाना के जनजीवन तथा उसके रहस्यों मूल्यों से अवगत कराया जायेगा ।गोंडवाना आन्दोंलन की अबतक के सफर का सिंहावलोकन भी विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत किया जाना है । गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद के प्रमुख तथा गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के संपादक मा0 सुन्हेर सिंह ताराम ने बताया कि गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के लगातार 1984 से चलने के कारण ही गोंडवाना आन्दोलन की नीव पडी आज की तारीख तक गोंडवाना का नाम जिस स्तर पर है यह गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के पहल के कारण ही संभव हुआ है । सम्मेलन के आयोजक डा0 एच डी उईके ने बताया है कि यह सम्मेंलन एैतिहासिक हो इसके लिये हमने तीनों दिन का कार्यकृम षुद्व गोंडी रीति एवं पद्वति से करने का प्रयास कर रहे हैं । गोंडी परिधान से लेकर अधिकतर गोंडी भाशा में विचारों का प्रसारण करने का प्रयास किया जावेगा । सांस्कृतिक कार्यकृम एवं नृत्य भी गोंडी संस्कृति पर आधारित होंगे । आगे आपने बताया कि हमने बाहर से आने वाले अतिथियों के लिये रहने की व्यवस्था बुकस्टाल वालों के लिये विषेश स्आल की व्यवस्था कर रहे हैं । सांस्कृतिक कार्यकृम के लिये प्रथक मंच की व्यवस्था कर रहे हैं । बाहर से आने वाले अतिथियों के लिये भोजन व्यवस्था भी की जा रही है । ताकि देष के विभिन्न हिस्सों से आये अतिथि बैतूल की याद को अपने साथ लेकर जावें । गोंडी भाशिक जिला बैतूल मध्यप्रदेष राज्य का एकमात्र एैसा जिला है जिसमें षत प्रतिषत गोंडी भाशा बोली जाती है आषा है यह कार्यकृम गोंडी भाशा को राजकीय भाशा का दर्जा दिलाने में षासन प्रषासन का ध्यान अवष्य केंद्रित करेगा ।गोंडवाना का पूर्व खेडला राज्य जिसका किला आज भी बैतूल के वैभव को प्रदर्षित कर रहा है । उसके भग्नावषेश आज भी गोंडवाना के वैभव का गुणगान करते नजर आ रहे हैं ।हमारे संवाददाता ने बताया है कि जिस तरह इस आयोजन को लेकर जिले में सरगर्मी है चहल पहल है कार्यकर्ताओं में उत्साह है इससे लगता है कि बैतूल जिले में आयोजित गोंडवाना गोंडी साहित्य सम्मेलन एैतिहासिक होगा ।
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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