सम्माननीय मातृ एवं पितृषक्तियों, नवजवान साथियों
आप सभी को मालूम है कि नवम्बर माह में विधान सभा के चुनाव होने जा रहे हैं सभी का ध्यान इस ओर जाना स्वाभाविक है । चुनाव में हमें अपने वोट का इस्तेमाल भी करना है । इसलिये वोट का इस्तेमाल करने के पूर्व हमें वोट क्यों और किसको देना है समझ लेना होगा । अन्यथा आजादी के इतने लम्बे अंतराल के बाद आज भी समाज यदि रोटी कपडा मकान तथा षिक्षा चिकित्सा एवं रोजगार जैसी मूलभूत आवष्यकताओं की समस्या से गृसित है तो क्यों । जबकि हर पार्टी इन्ही मूलभूत समस्याओं को प्रत्येक पंचवर्शीय चुनाव में आपके सामने लाकर इसके निराकरण की बात करती हैं । मतदाता वोट को दान समझकर पार्टियों को दे देता है और फल की आस लगाये उसका इंतजार करता रहता है । इंतजार करते करते जब आस टूट जाती है तब वह सब कुछ भूल कर अपनी किस्मत को ही दोशी मान लेता है । यह क्रम लगातार चल रहा है ।मतदाता के इसी भुलावे का लाभ लेकर पार्टियां लगातार मनी, मीडिया और माफिया से मजबूत होती जाती हैं । पार्टियों की यही ताकत सतासीन होकर आम जनता के हितों पर कुठाराघात करती है । जनहित की अपेक्षाओं को मनी, मीडिया और माफिया के माध्यम से कुचला जाता है । आम जनता को समझ में नहीं आता आखिर सरकारी तंत्र सरकारी खजाना सरकारी मीडिया समाज के लिये है या किसी दल विषेश की बपौती है ! जिसे वह अपनी साख अपनी सरकार बनाने के लिये उपयोग करता है । सत्ता में आकर ये दल आखिर क्यों निरंकुष हो जाते हैं । इन्हें यह अवसर कौन देता है प्रष्न विचारणीय है । इन्हें यह अवसर हमारा वोट देता है ।कारण की हम वोट देकर पार्टियों को जिताते हैं जनप्रतिनिधि को नहीं । जिस दिन से हम जनप्रतिनिधि के चाल, चरित्र और चेहरे को देखकर वोट देना षुरू कर देंगे उस दिन से पार्टियां कमजोर होने लगेंगी । जनप्रतिनिधि मजबूत होने लगेगा । मजबूत जनप्रतिनिधि पार्टी से कहीं ज्यादा जनता का प्रतिनिधि होगा । आज का जनप्रतिनिधि भले ही जनता के वोट से जीतता है लेकिन वह पार्टी की टिकिट जोकि पार्टी की असली ताकत मनी, मीडिया माफिया का गुलाम होकर रह जाता है । आरक्षित चुनाव क्षेत्रों के विधायक और सांसदों की स्थिति तो और भी दयनीय है । यहां दल के पहले दलालों जो पार्टी की टिकिट दिलाने का काम करते हैं उनकी गुलामी में रहना पडता है । उनकी मर्जी से चलना पडता है ।अर्थात आरक्षित क्षेत्र का जनप्रतिनिधि दोहरी गुलामी करता है ।सदन में पार्टी तथा बाहर पार्टी के दलाल की ।गुलाम जनप्रतिनिधि मालिक की हां में हां मिलाता है । भले ही जनता का कितना भी नुकसान हो जाये ।विधान सभा और संसद के सदन में लाये गये जनविरोधी प्रस्ताव पर अपने दल के व्हिप रूपी डंडे के डर से उस प्रस्ताव के पक्ष में सहमति देता है । जबकि वह आपका बहुमूल्य वोट जनहित के नाम पर लिया है । जनविरोधी कार्य के लिये नहीं ।यही कारण है कि आबादी वाले क्षेत्रों में वन अभ्यारण कारखाने नहर और बांधों के नाम पर जनता की इच्छा के विरूद्ध जनता को विस्थापन के लिये मजबूर होना पडता है । परमाणु विद्युत परियोजना जैसे खतरनाक विनाषकारी खतरों के बीच रहने के लिये मजबूर किया जाता है । जनता द्वारा अपने अधिकार के लिये किये जा रहे प्रदर्षन पर अश्रुगैस डंडा और गोंलियों की बौछार करके मौत की नींद सुलाया जाता है । संसद और देष की गरिमा को ताक में रखकर बलात्कारी भृश्टाचारियों अपराधियों को चुनाव में लडनें का अवसर दिये जाने का संसद में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाता है ।यह सब हमारे वोट का दुरूपयोग नही तो क्या है ।
अतः आपसे अनुरोध है कि नवम्बर माह में होने जा रहे विधान सभा चुनाव में अपने वोट का सही इस्तेमाल करें देष और प्रदेष की सत्ताधारी दलों ने हमारे वोट को हमारे विरूद्ध इस्तेमाल किया है । इसलिये सत्ताधारी दलों के दल दल से मुक्त निडर साहसी जनहितैशी उम्मीदवार को अपना बहुमूल्य वोट दें ताकि आपका वोट आपके साथ साथ देष प्रदेष का गौरव मान सम्मान स्वाभिमान की रक्षा कर सके । आपको भय भूख और भृश्टाचार सहित षिक्षा चिकित्सा रोजगार तथा रोटी कपडा मकान जैसी मूलभूत समस्याओं से मुक्ति दिला सके ।
‘वोट है इज्जत तुम्हारी वोट ही विकास है । वोट की ताकत को समझो वरना सत्यानाष है
‘वोट है बेटी की भांति नोट में मत बेचना । कौन है सच्चा हितैशी अब जरा तुम सोचना ।।
गुलजार सिंह मरकाम
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