" एक ओर हम देष के समस्त अदिवासी भाईयों को एक सूत्र में बांधकर आदिवासियों पर हो रहे अन्याय अत्याचार पर चर्चा कर उससे निपटने के रास्ते निकालने का प्रयास कर रहे है । राश्टीय स्तर की समस्याओं पर एक सोच विचार और व्यवहार लाने की कोशिष में हैं ं वहीं हमारे कुछ नवजवानो में आदिवासी षब्द के पीछे पडकर अंग्रेजी भाशा में परिभाशित कर यू0एन0ओ0 के दिये नाम पर विवाद की स्थिति पैदा कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं हैं, हम अभी षब्द के पीछे ना भागें व्यवहार में हम क्या हैं, इस पर चिंतन करें । व्यवहा र अपने आप षब्द को अपने अनुरूप ढाल लेगा । यदि हम केवल षब्द के पीछे भागे तो लक्ष्य के पहले क्षेत्रवाद जातिवाद में उलझकर आदिवासियों के समग्र मिषन को रोकने का काम करते हैं । गोंडवाना हमारी राश्टीयता है लेकिन हमारा राश्ट अभी गोंडवाना नहीं बना है । गोंडवाना राश्ट में जाति और उपजाति में लम्बे समय से बंटे होने के बावजूद राश्ट के मूलनिवासियों में जाति से उपर उठकर कम से कम वर्गचेतना पैदा हुई, यह भी मूलनिवासी समाज के आगे आने के लिये एक रास्ता है । यही वर्गचेतना आगे चलकर समाज के राश्टीयता का मार्ग प्रष्स्त करेगी । इसलिय...