"गोंडियन गोत्र व्यवस्था" हमारे एक मित्र ने गोंडियन समुदाय के गोत्र तथा देव व्यवस्था संबंधी जानकारी चाही है । हमारी परंपरागत गोंडियन व्यवस्था का आरंभ प्रकृति के ऋण और धन सूत्र के आधार पर स्थापित की गई है । समुदाय की पारंपरिक व्यवस्था में माता और पिता के पक्ष को आधार माना गया है । इसी को व्यवस्थित करते हुए हमारे महान तत्ववेत्ता धर्मगुरू पहांदी पारी कुपार लिंगों ने आपसी संबंध कैसे हों ,इसके लिये पारी व्यवस्था दी है । जिसे हम समान्यतया पारी सेरमी के रूप् में देखते हैं । चूंकि मानव की आरंभिक अवस्था के पशुवत जीवन से आसपसी समूह संघर्श के हिंसक परिणाम को प्रथम लिंगों ने गंभीरता से लिया । तब एैसे समूहों के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित करने के लिये तथा प्रकृति के बीच जीव जगत का संतुलन बनाये रखने के लिये प्रत्येक समूह में गोत्र व्यवस्था को लागू किया । यह गोत्र व्यवस्था आज विश्व के समस्त देशों में आज भी संचालित है । गोत्र व्यवस्था ने सम गोत्रधारियों के बीच आपसी भाईचारे को जन्म दिया । विभिन्न समूहों में समगोंत्रधारी आपस में सगा के रूप् में स्थापित हुए । गोत्र व्यवस्था ने समूहों के बीच हो...