"शोसल मीडिया में रावन के सम्बन्ध में चल रही चर्चा के पर"
साथियों,राजा रावन के बारे में हमें छेत्रीय बन्धन से ऊपर उठ कर विचार बनाया जाना चाहिए।कारन भी है कि ब्राह्मण कभी राजा नहीं हुआ,इसलिए उन्हें हम अपने नजदीक पाते हैं। साथ ही उनके पुत्र मेघनाद को पेन्कमेढी/वर्तमान पचमढी के आसपास विदिशा,भोपाल देवास,हरदा सिवनी छिदवाडा बैतूल,सीहोर सहित महाराष्ट्र के काफी जिलों में मेघनाद पर्व मनाया जाता है।इस मान्यता के आधार पर रावन हमारा पूर्वज हो सकता है।मण्डला जिले में सैला नाच,गान में"गोन्डी जन "रावन वन्शी पोई ना मर्री झारा धोती वारे" ऐसे शब्दावली का प्रयोग होता है। इसलिये रावन से संबंधित चर्चा में बड़ी सतर्कता की आवश्यकता है। हमें यह भी ध्यान रखना है कि मनुवादियो ने माहौल देखकर अपना पैतरा बदलने में देर नहीं करते। महावीर,बुद्ध,जैसे महापुरुषों को विष्णु का अवतार बना लेते हैं तब रावन को ब्राह्मण कह रहे हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
साथियों,राजा रावन के बारे में हमें छेत्रीय बन्धन से ऊपर उठ कर विचार बनाया जाना चाहिए।कारन भी है कि ब्राह्मण कभी राजा नहीं हुआ,इसलिए उन्हें हम अपने नजदीक पाते हैं। साथ ही उनके पुत्र मेघनाद को पेन्कमेढी/वर्तमान पचमढी के आसपास विदिशा,भोपाल देवास,हरदा सिवनी छिदवाडा बैतूल,सीहोर सहित महाराष्ट्र के काफी जिलों में मेघनाद पर्व मनाया जाता है।इस मान्यता के आधार पर रावन हमारा पूर्वज हो सकता है।मण्डला जिले में सैला नाच,गान में"गोन्डी जन "रावन वन्शी पोई ना मर्री झारा धोती वारे" ऐसे शब्दावली का प्रयोग होता है। इसलिये रावन से संबंधित चर्चा में बड़ी सतर्कता की आवश्यकता है। हमें यह भी ध्यान रखना है कि मनुवादियो ने माहौल देखकर अपना पैतरा बदलने में देर नहीं करते। महावीर,बुद्ध,जैसे महापुरुषों को विष्णु का अवतार बना लेते हैं तब रावन को ब्राह्मण कह रहे हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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