मप्र में विद्युत ऊर्जा प्रसंग।
"जेखर घर नौ लाख गाय,दूसर घर मही मांगने जाय"
मध्यप्रदेश देश का एकमात्र अजूबा राज्य है, जहां जल और कोयला से 18000 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। और प्रदेश की विभिन्न, उपयोग जैसे उद्योग , घरेलू तथा कृषि के लिये कुल खपत 9000 मेगावाट है फसल की सिंचाई के समय यह खपत 12000 मेगावाट हो जाती है। फिर भी औसतन 6000 मेगावाट बिजली का उपयोग नहीं होने के कारण अन्य राज्यों को लागत से भी कम दाम में बेचना पड़ता है। वे राज्य जिनमें दिल्ली शामिल है ,दिल्ली राज्य सरकार अपनी जनता को मप्र की जनता को मिलने वाली प्रति यूनिट बिजली दर से आधे से भी कम कीमत पर बिजली प्रदाय कर रही है। दूसरों को लागत से कम कीमत में बिजली देने की बजाय मप्र की जनता को कम कीमत में बिजली नहीं दी जा सकती ? वहीं दिल्ली का मुख्यमंत्री मप्र में आकर अपनी सरकार की बिजली की कीमत पर वाहवाही लूट रहा है। बतायें कि कौन मुख्यमंत्री बेवकूफ है ? इस पर विचार करें। क्या जनता की आंखों में धूल झोंकने वाली सरकार को माफ करेंगे ?
इसलिए शिक्षित बेरोजगारों,नवजवानों,मजदूर किसानों जागो !
"अबकी बार गोंडवाना भूमि के, आदिवासियों की सरकार"-gsmarkam
"जेखर घर नौ लाख गाय,दूसर घर मही मांगने जाय"
मध्यप्रदेश देश का एकमात्र अजूबा राज्य है, जहां जल और कोयला से 18000 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। और प्रदेश की विभिन्न, उपयोग जैसे उद्योग , घरेलू तथा कृषि के लिये कुल खपत 9000 मेगावाट है फसल की सिंचाई के समय यह खपत 12000 मेगावाट हो जाती है। फिर भी औसतन 6000 मेगावाट बिजली का उपयोग नहीं होने के कारण अन्य राज्यों को लागत से भी कम दाम में बेचना पड़ता है। वे राज्य जिनमें दिल्ली शामिल है ,दिल्ली राज्य सरकार अपनी जनता को मप्र की जनता को मिलने वाली प्रति यूनिट बिजली दर से आधे से भी कम कीमत पर बिजली प्रदाय कर रही है। दूसरों को लागत से कम कीमत में बिजली देने की बजाय मप्र की जनता को कम कीमत में बिजली नहीं दी जा सकती ? वहीं दिल्ली का मुख्यमंत्री मप्र में आकर अपनी सरकार की बिजली की कीमत पर वाहवाही लूट रहा है। बतायें कि कौन मुख्यमंत्री बेवकूफ है ? इस पर विचार करें। क्या जनता की आंखों में धूल झोंकने वाली सरकार को माफ करेंगे ?
इसलिए शिक्षित बेरोजगारों,नवजवानों,मजदूर किसानों जागो !
"अबकी बार गोंडवाना भूमि के, आदिवासियों की सरकार"-gsmarkam
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