9 अगस्त विश्व आदिवासी (इंडीजीनियस)दिवस"
9 अगस्त विश्व के आदिवासियों (इंसान के मूलबीज)की जीवन पद्धति उनकी भाषा धर्म संस्कृति साहित्य और परंपराओं को संरक्षित रखते हुए वर्तमान सामान्य विकास की दौड़ में वे पीछे ना रह जाएं इस बावद संयुक्त राष्ट्र संघ ने सभी सदस्य देशों को आव्हान किया है कि सदस्य देशों की सभी सरकारें विभिन्न स्तर पर प्रति वर्ष 9 अगस्त को जन सभा का आयोजन कर अपनी सरकार द्वारा आदिवासियों के उत्थान में वर्ष भर किये गये प्रयास की आदिवासियों के समक्ष समीक्षा एवं रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुति देते हुए कर संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रेषित करने का दिवस है। यह कोई उत्सव नहीं जो किसी को खुश करना है, बल्कि सरकारें आदिवासियों को खुश करने के लिए स्वयं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें। हमारे समुदाय की जिम्मेदारी यह है कि 9 अगस्त हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है इसकी जानकारी से सबको अवगत कराते हुए जागरूक करे।
- गुलजार सिंह मरकाम
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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