चुनाव के लिए राजनीतिक दलों को इशू चाहिए उसके लिए इशू प्रायोजित किये जाते हैं। इसमें जन समस्या , जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से जनमानस को प्रभावित नहीं करने की समस्या पक्ष या विपक्ष किसी को आती दिखाई देती है तब समाज की भाषा धर्म संस्कृति उसका मूल स्त्रोत है,उस पर राजनीति आक्रमण की कोशिश होती है, जिसमें व्यक्ति जाति धर्म संप्रदाय के नाम पर इशू तैयार किया जाता है, इसमें चाहे कितनी ही हत्या, बलात्कार आगजनी करना पडे , राजनीतिक दलों को कोई फर्क नहीं पड़ता, इसका शिकार तो व्यक्ति समुदाय और समाज होता है। अब आसन्न चुनाव है । मप्र भी इस क्रम से अछूता कैसे रह सकता है। इसका एक ही इलाज है, पीड़ित व्यक्ति,जाति समुदाय और समाज में आपसी सौहार्द और समझ विकसित करे। -(gska)