"भारत का गौरव किसमें ?"
आज हमारे देश में हिंदू गौरव दिखाने की भरपूर कोशिश की जा रही है जिसके लिए मीडिया साहित्य के साथ साथ नेता ,धर्मगुरु और बहुत से अज्ञानी गुलाम भी लगे हुए हैं जिन्हें ना इतिहास का ज्ञान है ना धर्म का ज्ञान है उन्हें बस हिंदू गौरव जो प्रायोजित, नकली इतिहास के माध्यम से पढ़ाया गया है,पढ़ाया जा रहा है उनके लिए वही अंतिम सत्य है। असली हिंदू कौन इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया सब राष्ट्र के नाम पर हिंदू बनकर, देश में जातिवाद और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। बारी बारी से हिंदू वर्सेस मुस्लिम, हिंदू वर्सेस ईसाई, हिंदू वर्सेस बौद्ध, हिंदू वर्सेस आदिवासी(धर्मपूर्वी) के बीच संघर्ष को हवा दे रहे हैं। इस देश के असली मूलनिवासी को अपने गौरव की चिंता नहीं इसलिए सत्ही इतिहास जो अंग्रेजों की चाटुकारिता करते हुए अपनी जमीदारी बचाए, मुगलों की चाटुकारिता करते हुए राज दरबारों में अपनी बहन बेटियां देकर दरबारों की शान बने,अपने सिंहासन बचाये। यदि देश के मूल निवासी को अपने असली गौरव का एहसास करना है,तो उसे आर्य दृविण का देवासुर संग्राम पढ़ना चाहिए, आचार्य चतुर्सेन का वयं रक्षाम: ,वोल्गा से गंगा तक, डा०मोतीरावन कगाली का गोंडवाना का सांस्कृतिक इतिहास , बीआर ढोके का गोंडवाना लैंड का मानव गोंड, डा अंबेडकर का शूद्र कौन और कैसे आदि महत्वपूर्ण गृंथ पढ़ें,इन पर आधारित गीत,नाटक और फिल्म तैयार करें यही हमारा इतिहास है, हमारे आदर्श पुरूषों की गौरव गाथा है,इसी से स्वाभिमान पैदा होगा यह स्वाभिमान हमारी एकता और ताकत का निर्माण करेगा जिससे हम दुश्मन को परास्त कर पायेंगे, आपके स्वाभिमान को कुचलने वाला आपको दोयम दर्जे का नागरिक बनाने वाला साहित्य,फिल्म नाटक और मीडिया से दूर रहें।- गुलजार सिंह मरकाम
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