आदिवासियों की सरलता सजहता का लाभ उठाकर अंग्रेजों ने १९४७ के पहले बहुत
सा ज्ञान इंग्लेंड ले गए लोग आज भी आदिवासियों के गूढ़ रहस्यों की जानकारी
लेकर अपना उल्लू सीधा करके अपने आप को भारत के ज्ञान का ग़ुरू साबित साबित
करने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें यह नहीं मालूम की आदिवासी के ज्ञान को
लेने के लिए उन्हें आदिवासी समाज में जन्म लेना पड़ेगा ! उस वातावरण उस
माहोल में रहना बसना पड़ेगा ! अंग्रेजी शासन कल में डाक्टर एल्विन को
अंग्रेजी सरकार ने आदिवासियों के रहन सहन रीति रिवाज परम्पराओं के ज्ञान का
अध्ययन करने के लिए जिम्मेदारी सोंपी गयी थी ! लेकिन उन्होंने पाटन ग्राम
वर्तमान डिंडोरी जिले की आदिवासी महिला कोशी बाई से विवाह भी किया ,आज उसका
पुत्र ग्राम रैत्वार में निवास करता है ! लेकिन उस डाक्टर एल्व्विन को
क्या पता था की आदिवासी संस्कृति के गूढ़ रहस्य गोंडी भाषा में पाए जाते हैं
? चूंकि पाटन गढ़ में गोंडी भाषा का प्रचलन नहीं है ! इसलिए वे आदिवासियों
के गूढ़ रहस्य की जानकारी से वंचित रह गए ! इसकी जानकारी के लिए गोंडी भाषा
के जानने ,उस समाज में पैदा हुए उसकी रीति रिवाज परंपरा को जानने वाले
उदघोषक (एक्सप्लेनर) की आवश्यकता है ! अखंड गोंडवाना इन रहस्यों को अब
कीमत लेकर विश्व को अपना ज्ञान बताएगी !ताकि विश्व जन समुदाय अपने आप को
सुरक्छित रखने के लिए प्रकृति संतुलन और मनुष्य के भयिश्य पर खोज की जा सके !
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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