नरेंद्रमोदी ने कहा कि क्षेत्रीय दलों को सबक सिखाने का समय आ गया
भाजपा नेता नरेंद्र मोदी को अब लगने लगा कि उनका प्रधानमंत्री बनना आसान नहीं है । कारण कि नरेंद्र मोदी देष में जिस दक्षिण पंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने निकले हैं वह विचार धारा जनता पर तानासाही से राज करने वाली विचारधारा है । जो इस देष की नही मध्य एषिया से आये हुए आर्यों की है । देष के क्षेत्रीय दल चूंकि देषी विचारधारा समाजवाद को लेकर चलते हैं । वहीं विदेषी विचार वाली कम्यूनिश्ट पार्टियां समाजवाद की ही पक्षधर हैं । इन परिस्थितियों में इन दलों के नेताओं का दक्षिणपंथी अधिनायकी विचारधारा से कैसे मेल हो सकता है । यही कारण है कि ये दल देष के लिये खतरनाक विचारधारा को कैसे स्थापित होने देंगे । इसलिये तीसरी ताकत के लिये ये लामबंद हो रहे हैं जो देष के लिये हितकारी है । अच्छाा है क्षेत्रीय दलों को समय रहते अधिनायकवादी आक्रामकता जल्दी समझ में आ गई । नरेंद्र मोदी भले ही पिछडे वर्ग के व्यक्ति हें लेकिन वो एैसी विचारधारा के वाहक बन रहे हैं जो देष के लोकतंत्र का नक्षा बदल देना चाहते हैं संविधान को मनुवादी संविधान का रूप देना चाहते हैं । एैसी व्यवस्था में नरेंद्र मोदी का समाज क्या बच जायेगा प्रष्न विचारणीय है । छोटे दलों को सबक सिखाने वाली बात करके नरेंद्र मोदी अपने ही पैर में कुल्हाडी मारने जैसी बात कर रहे हैं । सत्ता में आने के बाद वे किसके गुलाम हो जायेंगे यह उन्हे मालूम है लेकिन प्रधानमंत्री बनने की चाहत ने उनकी आंखों में पटअी बांध रखी है । निष्चित ही 2014 में छोटे दलों का सफाया संभव है । कारण की छोटे दल विदेषी विचारधारा के विरोधी हैं वहीं विदेषी विचार वाली कांग्रेस ई0वी0एम0 मषीन के माध्यम से सांटगांठ कर अब भाजपा का साथ देकर छोटे दलों को सबक सिखाने का मन बना चुकी है । मोदी की जुबान कांग्रेस की आंतरिक ताकत से लम्बी हुई है । इसे समझने की आवष्यकता है ।
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