देश के असली मालिक आदिवासीयो को"पीला सलाम" के साथ नीला और लाल सलाम के साथ"देश की असली आजादी के लिये सन्घर्ष की तैयारी करना चाहिए। यूएनओ के अनुसार किसी देश के मूल निवासियों पर विदेशी जातियों का राज हो सकता है पर वे वहाँ के मालिक नहीं हो सकते।केवल सत्ताधारी होकर मूलनिवासीयो के मात्र सरक्षक हो सकते हैं। मूलनिवासीयो के भूमि का मालिक नहीं हो सकते। उस भूमि को लीज/डीड पर उपभोग कर सकते हैं।इसलिये देश के भूमि के मालिक की भूमि १९६९ तक विदेशीयो के लिये लीज पर थी,चाहे विदेशी अन्ग्रेज था या विदेशी आर्य जाति इनका लीज/डीड समाप्त हो चुका है, या तो ये मूलनिवासीयो से विनती कर लीज का समय बढवाये या देश से जाने की तैयारी करें।अब मूलनिवासी अपने अधिकार और कर्तव्य को समझने लगा है। आदिवासीयो को ५वी और ६वी अनुसूचि यही इशारा करती है। पेशा कानून मूलनिवासीयो के मूल अस्तित्व उसकी भाषा,धर्म,सनस्क्रति रीतिरिवाजों की ओर इशारा करती है जिसमें देश के मालिक होने के सारे तथ्य मौजूद हैं। यदि मूलनिवासी मनुवादी सन्सक्रति /सन्सकारो को मानते हुए स्वतंत्रता की मांग करेगा तो वह विदेशीयो के साथ गेहूँ में घुन की तरह पिसते हुए, मूलनिवासी होने की चीख़ पुकार करेगा। तब आजादी के इस अन्तिम आन्दोलन में उसकी चीखें दबकर रह जाएगी।तब वह ये गीत गुनगुनायेगा "दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार ना रहा ,जिन्दगी हमें तेरा एतबार ना रहा,एतबार ना रहा।बात गम्भीर है इसे हल्के में ना लें।इस पर चिन्तन मनन कर प्रतिक्रिया दे।
"गोन्डवाना का गोन्ड"कौन और कैसे?
गोन्डवाना राष्ट्र के कारण वहाँ के निवासियों जो कि गोन्डवाना राष्ट्र की संस्कृति का पालन करते थे उनकी राष्ट्रीय पहचान गोन्ड है। उनकी भाषा गोन्डी । इसलिये गोन्ड जाति नहीं समूह है।जिसने गोन्ड को अपनी जाति बताया है वह कोयतोरियन समुदाय है।गोन्डवाना राष्ट्र में कोयतोरियन समुदाय के साथ साथ भीलियन,कोलारियन समुदाय भी गोन्डवाना राष्ट्र का मूल वासिन्दा होने के कारण गोन्ड है।इसकी पुष्टि उसकी मान्यता और परम्परागत जीवन शैली से होती है।यह भली भाँति समझ लेना चाहिए कि गोन्ड मेरी राष्ट्रीयता है,कोयतोरियन,भीलियन,कोलारियन मेरा वन्श या समूह है।
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