1."कथित योग्य लोंगों की योग्यता का परिणाम भोगता देश ।"
विकास के प्रयोगवादी कार्यकृमों से देश का अरबों रूपया बेकार गया है । विकास की योजनाओं के लिये मोटी तन्ख्वाहों पर अनेक विषयवार विशेषज्ञ रखे गये हैं लेकिन ये विशेषज्ञ किसी विषय पर दावे से यह नहीं कह सकते कि इस विषय के प्रयोग को माडल के रूप में आगे बढाया जाय । लगातार विकास के नाम पर प्रयोगवादी कार्यकृम कब तक चलते रहेंगे ना तो इनकी जलनीति सफल है ना गरीबी मिटाओं या स्वास्थ्य, शिक्षा ना कृषि ना आतंकवाद ना ही नक्सल समस्या को सुलझाने पर सफल हो पाये हैं सभी बिन्दुओं पर प्रयोग ही चल रहें हैं । प्रयोग के नाम पर देश का पैसा इन कथित योग्यता वालों के घरों को मालामाल कर रहा है । हितग्राही विकास की आशा लगाकर टुकुर टुकुर देख रहा है ।
2."इस पर भी शोध होना चाहिए"
देश में योग्यता अयोग्यता की बात आये दिन चलती रहती है। पहली बात तो यह है कि देश के सर्वोच्च पदों पर कौन है जिसके माध्यम से सत्ता चलती है। वही उसका जिम्मेदार है। दूसरी बात यह है कि देश में सबसे अधिक घूसखोरी और दलालों की सूची में किन जाति या वर्ग का हाथ है।इस विषय पर शोध की जरूरत है। मेरा व्यक्तिगत सर्वेक्षण है कि देश में सबसे ज्यादा देश द्रोही,जो सीमा में मिलिट्री की गोपनीयता बेचने,अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दलाली,देश का पैसा खर्च कर उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त कर विदेशों को सेवाएं देना,देश को लूटकर विदेशों में पैसा जमा करने वाले कौन हैं ,राष्ट्रीय झन्डा तिरन्गा का अपमान करने तथा देश की आजादी के सन्घर्ष मे अपने आप को दूर रखने की सलाह देने वाले व्यक्ति और सन्गठन कौन थे तो निष्कर्ष निकलता है कि जिन्हें इतिहास ने विदेशी कहा है उसी वर्ग और जाति के लोग आगे हैं। इस पर हमारे मूलनिवासी शोध कर्ताओं को शोध प्रबंध लिखना होगा । इस विषय पर अडचन जरूर है , इस पर कालेज फेकल्टी का सहयोग नहीं मिले पर आपका शोध मूलनिवासी समाज को योग्यता ,अयोग्यता,देश भक्त और देश द्रोही का अवश्य परिचय करा देगी ।(गुलजार सिंह मरकाम)
विकास के प्रयोगवादी कार्यकृमों से देश का अरबों रूपया बेकार गया है । विकास की योजनाओं के लिये मोटी तन्ख्वाहों पर अनेक विषयवार विशेषज्ञ रखे गये हैं लेकिन ये विशेषज्ञ किसी विषय पर दावे से यह नहीं कह सकते कि इस विषय के प्रयोग को माडल के रूप में आगे बढाया जाय । लगातार विकास के नाम पर प्रयोगवादी कार्यकृम कब तक चलते रहेंगे ना तो इनकी जलनीति सफल है ना गरीबी मिटाओं या स्वास्थ्य, शिक्षा ना कृषि ना आतंकवाद ना ही नक्सल समस्या को सुलझाने पर सफल हो पाये हैं सभी बिन्दुओं पर प्रयोग ही चल रहें हैं । प्रयोग के नाम पर देश का पैसा इन कथित योग्यता वालों के घरों को मालामाल कर रहा है । हितग्राही विकास की आशा लगाकर टुकुर टुकुर देख रहा है ।
2."इस पर भी शोध होना चाहिए"
देश में योग्यता अयोग्यता की बात आये दिन चलती रहती है। पहली बात तो यह है कि देश के सर्वोच्च पदों पर कौन है जिसके माध्यम से सत्ता चलती है। वही उसका जिम्मेदार है। दूसरी बात यह है कि देश में सबसे अधिक घूसखोरी और दलालों की सूची में किन जाति या वर्ग का हाथ है।इस विषय पर शोध की जरूरत है। मेरा व्यक्तिगत सर्वेक्षण है कि देश में सबसे ज्यादा देश द्रोही,जो सीमा में मिलिट्री की गोपनीयता बेचने,अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दलाली,देश का पैसा खर्च कर उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त कर विदेशों को सेवाएं देना,देश को लूटकर विदेशों में पैसा जमा करने वाले कौन हैं ,राष्ट्रीय झन्डा तिरन्गा का अपमान करने तथा देश की आजादी के सन्घर्ष मे अपने आप को दूर रखने की सलाह देने वाले व्यक्ति और सन्गठन कौन थे तो निष्कर्ष निकलता है कि जिन्हें इतिहास ने विदेशी कहा है उसी वर्ग और जाति के लोग आगे हैं। इस पर हमारे मूलनिवासी शोध कर्ताओं को शोध प्रबंध लिखना होगा । इस विषय पर अडचन जरूर है , इस पर कालेज फेकल्टी का सहयोग नहीं मिले पर आपका शोध मूलनिवासी समाज को योग्यता ,अयोग्यता,देश भक्त और देश द्रोही का अवश्य परिचय करा देगी ।(गुलजार सिंह मरकाम)
3."गोन्डवाना आन्दोलन की सफलता के सूत्र"
गोन्डवाना आन्दोलन को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिये गोन्डवाना की राजनीतिक शाखा को विशेष भूमिका में आना होगा। राष्ट्रीय स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक कमेटियों का गठन करना होगा।(१) प्रत्येक कमेटी एक दूसरे के प्रति उत्तरदायी हो । कोई भी निर्णय कमेटियो को विश्वास मे लेकर लिये जाये ।(२) सन्गठन की प्रत्येक शाखा का गठन हो जिनके आवश्यक सुझावो पर मुख्य कार्यकारिणी ध्यान दे ।(३) समग्र क्रान्ति आन्दोलन के सहयोगी इकाईयो के प्रमुखो को लेकर आन्दोलन की रणनीति तैयार की जाए । (४) आन्दोलन से प्रभावित सभी राज्यों में प्रभारी के रूप में राजनीतिक दल के राष्ट्रीय पदाधिकारी नियुक्त किये जायें । (५) राजनीतिक संगठन की राष्ट्रीय स्तर पर कम से कम वर्ष में एक बार समीक्षा बैठक (६) राज्य में कम से कम दो बार (६) सम्भाग स्तर में तीन (७) जिला स्तर में चार तथा (८) विकासखण्ड स्तर मे कम से कम पान्च बार होना आवश्यक हो । (९) गोन्डवाना आन्दोलन की समस्त इकाइयों को भी इसी क्रम में अपने क्रियाकलाप करने होन्गे । श(" सामूहिक समस्या, सामूहिक सन्गठन, सामूहिक उत्तरदायित्व ")
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