मिशन 2018 5वी और छठी अनुसूचि के आदिवासी हित के प्रवधानों के संबंध में आदिवासियों को जागृत करने का प्रयास कर रही है । किसी को इस बात को जरा सा भी आभास नहीं कि हम जिस म0प्र0 में पांचवीं अनुसूचि के तहत अधिकारों की बात कर रहे हैं वहां पर पांचवी अनुसूचि के कोई भी नियम नहीं बनाये गये हैं । जब तक राज्यपाल द्धारा राज्य में पांचवी अनुसूचि को लेकर अधिसूचना जारी नहीं होती तब तक उस राज्य में पांचवीं अनुसूचि का कोई मायना नहीं है । इसलिये जयस का मिशन 1018 निश्चित रूप से आदिवासी यों की आंख खोलने के लिये काफी है । हमें जयस के इस आव्हान का पूरी तरह समर्थन करना चाहिये । दूसरी ओर आनर आफ इन्डिया की मुहिम चलाने वाले हमारे कुछ बुद्धिजीवि जो आदिवासियों को देश का मालिक बता रहें हैं निश्चित ही आदिवासी देश का मालिक है । राज्यपाल और राष्टपति केवल हमारा संरक्षक है ,उसे हमारे जल जंगल जमीन के क्रय विक्रय की अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है । पर भारतीय संविधान और अंतर्राष्टीय नियमों का उल्लंघन कर इस देश की अल्पमतीय सरकार जो केवल आदिवासियों की व्यवस्थापक है, नये नये कानून बनाकर आदिवासी मालिक की जनसंख्या को नहर, बांध और औघोगिक विकास के के नाम पर तितर बितर करना चाहती है । हमारी ताकत को बांटना चाहती है । अतः हम आदिवासी इस देश के असली मालिक हैं हमारी भूमि के अन्य केवल उपभेग कर हमारे लिये व्यवस्था की जिम्मेदरी उनपर हैं ये मालिक नहीं हैं । इसलिये अब आदिवासी मालिक की हैसियत से अपने आप को गौरर्वान्वित करे । मिशन 2018 के दिल्ली कार्यक्रम में ये सभी बातों का खुलासा किया जायेगा अतः हम सब स्थानीय मुददों की लडाई लडते हुए मिशन 2018 की तेयारी बिना किसी अहं भाव के करें तो आनर आफ इन्डिया के हकदार होंगे जिसे कोई राज्य या केंद्र सरकार नकार नहीं सकती । जय गोंडवाना जय आदिवासी जय मूलनिवासी ।
मिशन 2018 5वी और छठी अनुसूचि के आदिवासी हित के प्रवधानों के संबंध में आदिवासियों को जागृत करने का प्रयास कर रही है । किसी को इस बात को जरा सा भी आभास नहीं कि हम जिस म0प्र0 में पांचवीं अनुसूचि के तहत अधिकारों की बात कर रहे हैं वहां पर पांचवी अनुसूचि के कोई भी नियम नहीं बनाये गये हैं । जब तक राज्यपाल द्धारा राज्य में पांचवी अनुसूचि को लेकर अधिसूचना जारी नहीं होती तब तक उस राज्य में पांचवीं अनुसूचि का कोई मायना नहीं है । इसलिये जयस का मिशन 1018 निश्चित रूप से आदिवासी यों की आंख खोलने के लिये काफी है । हमें जयस के इस आव्हान का पूरी तरह समर्थन करना चाहिये । दूसरी ओर आनर आफ इन्डिया की मुहिम चलाने वाले हमारे कुछ बुद्धिजीवि जो आदिवासियों को देश का मालिक बता रहें हैं निश्चित ही आदिवासी देश का मालिक है । राज्यपाल और राष्टपति केवल हमारा संरक्षक है ,उसे हमारे जल जंगल जमीन के क्रय विक्रय की अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है । पर भारतीय संविधान और अंतर्राष्टीय नियमों का उल्लंघन कर इस देश की अल्पमतीय सरकार जो केवल आदिवासियों की व्यवस्थापक है, नये नये कानून बनाकर आदिवासी मालिक की जनसंख्या को नहर, बांध और औघोगिक विकास के के नाम पर तितर बितर करना चाहती है । हमारी ताकत को बांटना चाहती है । अतः हम आदिवासी इस देश के असली मालिक हैं हमारी भूमि के अन्य केवल उपभेग कर हमारे लिये व्यवस्था की जिम्मेदरी उनपर हैं ये मालिक नहीं हैं । इसलिये अब आदिवासी मालिक की हैसियत से अपने आप को गौरर्वान्वित करे । मिशन 2018 के दिल्ली कार्यक्रम में ये सभी बातों का खुलासा किया जायेगा अतः हम सब स्थानीय मुददों की लडाई लडते हुए मिशन 2018 की तेयारी बिना किसी अहं भाव के करें तो आनर आफ इन्डिया के हकदार होंगे जिसे कोई राज्य या केंद्र सरकार नकार नहीं सकती । जय गोंडवाना जय आदिवासी जय मूलनिवासी ।
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