"फांसीवादी दौर और भारत" देश अब ऐसे मोड़ पर है,जहां अब सत्ता का फासीवादी चेहरा खुलकर आम नागरिक के मौलिक अधिकारों का दमन करने में लग चुका है। आम नागरिक अभी अपनी पहचान बचाने के लिये संघर्ष कर रहा है, तब सत्ता उसे विदेशी पहचान देने में जुटी है ताकि संविधान नहीं सत्ता की विचारधारा के मापदंड में ना आने पर उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजकर एक साथ बम या जहरीली गैस छोड़कर मार दिया जायेगा। इस सत्ता का चरित्र जर्मनी के तानाशाह हिटलर के नक्शे-कदम है। जिस तरह से हिटलर अपने अंधभक्त प्रशिक्षित लोगों(नेताओं) को जनता के बीच दहशत पैदा करके हिटलर के विरोधियों को दबाने का प्रयास करता था ठीक उसी तरह का वातावरण आज की तारीख में भारत देश में दिखाई देता है। सत्ताधारी दल के नेता NRC की सफाई देने जगह जगह जाकर यही कह रहे हैं।कि मोदी और अमित शाह ने जो कहा दिया वहीं सच है।यदि इसका विरोध करोगे तो,जिंदा गडा दिया जायेगा। चाकू,गोली या बम से उडा दिया जायेगा आदि आदि। फिर भी देश के नागरिकों को इससे भयभीत नहीं होना चाहिये ऐसे अतिवाद को मानवतावादी अमनपसंद और संविधान का सम्मान करने वाली पुलिस,मिलिट्री और सुरक्षाबल भी ...