" NPR- एक उलझाव और"
2021 के जनगणना की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।आम नागरिक इस बात को समझें कि भारत में प्रति 10 वर्ष में देश के नागरिकों की जनगणना होती है। जिसमें परिवार से लेकर धर्म, लिंग ,उम्र,गांव, व्यवसाय विकलांगता सहित शिक्षा से लेकर बहुत से बिन्दुओं का मानक तैयार किया जाता है।फिर भी आज केंन्द्र सरकार को प्रथक से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) को बनाने,और जनता के पैसे का अपव्यय करने की क्या जरूरत है। जब जनगणना में सभी का रिकार्ड तैयार किया जाता है,तब सरकार को चाहिये कि उसी रिकार्ड से एनपीआर बना लें। परन्तु गरीबी,भुखमरी मंहगाई,बेरोजगारी की तरफ जनता का ध्यान ना जाकर बस इसी में लोग उलझे रहें। और इसी उलझन में फंसकर हिन्दू मुस्लिम के बीच लगातार विरोधाभाषी वातावरण बनाकर आनेवाली लोकसभा में हिंदू राष्ट्र की कल्पना को साकार करने की साज़िश है। ध्यान रहे इस देश में केवल आर एस एस / भाजपा के अंधभक्त ही कट्टर हिंदू हैं । बाकि सब संविधान का सम्मान करने वाले असली भारतीय हैं। जिन्हें ना कट्टर हिन्दुत्व चाहिते ना कट्टर इस्लामियत या इस तरह के अन्य धर्मांध व्यक्ति या नागरिक।
-गुलजार सिंह मरकाम (रासंगोंसक्रांआं)
2021 के जनगणना की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।आम नागरिक इस बात को समझें कि भारत में प्रति 10 वर्ष में देश के नागरिकों की जनगणना होती है। जिसमें परिवार से लेकर धर्म, लिंग ,उम्र,गांव, व्यवसाय विकलांगता सहित शिक्षा से लेकर बहुत से बिन्दुओं का मानक तैयार किया जाता है।फिर भी आज केंन्द्र सरकार को प्रथक से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) को बनाने,और जनता के पैसे का अपव्यय करने की क्या जरूरत है। जब जनगणना में सभी का रिकार्ड तैयार किया जाता है,तब सरकार को चाहिये कि उसी रिकार्ड से एनपीआर बना लें। परन्तु गरीबी,भुखमरी मंहगाई,बेरोजगारी की तरफ जनता का ध्यान ना जाकर बस इसी में लोग उलझे रहें। और इसी उलझन में फंसकर हिन्दू मुस्लिम के बीच लगातार विरोधाभाषी वातावरण बनाकर आनेवाली लोकसभा में हिंदू राष्ट्र की कल्पना को साकार करने की साज़िश है। ध्यान रहे इस देश में केवल आर एस एस / भाजपा के अंधभक्त ही कट्टर हिंदू हैं । बाकि सब संविधान का सम्मान करने वाले असली भारतीय हैं। जिन्हें ना कट्टर हिन्दुत्व चाहिते ना कट्टर इस्लामियत या इस तरह के अन्य धर्मांध व्यक्ति या नागरिक।
-गुलजार सिंह मरकाम (रासंगोंसक्रांआं)
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