हमारी कोशिश हो की मध्प्रदेश का पूर्व पश्चिम उत्तर दक्छिन का समस्त आदिवासी समुदाय छेत्रियता के दायरे से ऊपर उठकर एक दूसरे से सामाजिक,धार्मिक सांस्कृतिक राजनीतिक भाषिक मेलजोल बढ़ाए ,एक दूसरे पर विश्वास स्थापित करे । यह विश्वास आपको एक दूसरे के दुख तकलीफ को साझा करने में सहायक होगा । साथ ही सामुदायिक उत्तरदायित्व का एहसास कराएगा । जब जब भी समुदाय पर अन्याय होता है ,आपके हक अधिकारों का हनन होता है तब यह सामुदायिक विश्वासआपकी सुरक्छा का संबल होगा।गर्व से कहो हम गोंड हैं गर्व से कहो हम भील है, शहरिया,या कोल हैं,से बात नहीं बनने वाली है।"गर्व से कहो हम आदिवासी हैं" यही आव्हान समुदाय को एक दुसरे के नजदीक ला सकता है। यह विश्वास यदि राज्य का समुदाय कायम करता है तो इसी विश्वास के बल पर देश का पूरब पश्चिम उत्तर दक्छिन "एक सोच एक विचार और एक व्यवहार" से राष्ट्रीय छितिज पर अपना परचम लहरा सकेगा। जहां गोंड,भील,कोल मीणा शहरिया मुंडा,उरांव नहीं " गर्व से कहो हम आदिवासी है" ही गौरव का प्रतीक लगेगा।
(गुलजार सिंह मरकाम रासं गों स क्रा आ)
(गुलजार सिंह मरकाम रासं गों स क्रा आ)
Comments
Post a Comment