"आसाम की हकीकत अखिर नरसंहार क्यों " 25 से 27 दिसंबर तक आयोजित अ.भा.गों.गों.महासभा के बल्लारषाह अधिवेषन में आसाम से लगभग 28 प्रतिनिधि , जिनसे मैंने व्यक्तिगत चर्चा की उन्होंने बहुत कुछ जानकारी देते हुए बताया कि "हमारे पूर्वज अंग्रेजों की ईस्ट इन्डिय कम्पनी के बंधक के रूप में चाय बागानों में काम करने के लिये आसाम ले जाये गये थे । अंग्रेजो की देखरेख में हमें उन बागानों में 24 घंटे काम करना पडता था । खाने पीने की व्यव्स्था के लिये मजदूरी मिलती थी । इन बागानों के आसपास हम लोग झोपड ी बनाकर रहते थे । अंग्रेज सदैव हमारी निगरानी में लगे रहते थे ताकि हम भाग ना जायें । इस तरह हमारी आरंभिक पीढी जो लगभग समाप्ति की ओर है । उस समय हम बच्चे थे धीरे धीरे उन्ही बागानों में काम करते हुए वहां के वातावरण में ढलकर कुछ व्यवसाय और काबिज भूमि में अपनी जीविका चलाने लगे अंततः देष आजाद हुआ हमने सोचा कि आजादी के बाद हमें अपने जाति समुदाय की तरह संविधान के आरक्षण का लाभ मिलेगा परन्तु ,सरकार से संवैधानिक मांग करने पर जब देष में मंडल आयोंग के तहत पिछडे वर्गों का आरक्षण मिला उसी समय से हमें भी पिछडा वर...