गोंडवाना के लोगों ने इस संबंध में पहले से बात रखी लेकिन कौन सुनता था इनकी बात को अब आधिकारिक तौर पर कहा जाने लगा तब यह बात सच जैसे लगती है । इसलिये गोंडवाना के सगाजनों आप सही चल रहे हैं ,ना मीडिया की चिंता न किसी और से प्रमाणपत्र की जरूरत ! हमने जो देखा हमने जो महसूस किया और हम पर जो बीत रहीं है व्यवहारिक रूप में वही सही है । हमें किसी से प्रमाण पत्र नहीं लेना है कि हम इस देष के मूलनिवासी हैं और आर्य विदेषाी हैं , हमें किसी से पूछना नहीं कि हम हिन्दु नहीं प्रकृति धर्मी हैं । हमारे संस्कार और संस्कृति अलग है । हम नहीं जानते कि वर्णव्यवस्था क्या है हम यह भी नही जानते कि स्वतंत्रता संग्रकम 18 57 के अगुआ कौन थे हमें तो बस पता है 1848 में राजा ढिल्लनषाह ने अंग्रेजों के छक्के छुडा दिये थे ंराजा षंकर षाह रघुनथषाह की वीरगाथा हमें मौखिक याद हो गई । तात्या मामा बिरसा मुण्डा को हमने अपना आदर्ष मान लिया है तुम हमें कितना ही पढाओं इतिहास को कितना ही तोडों मरोडो जैसी जानकारी आ रही है । इस देष का इतिहास बदलने की तैयारी चल रही हैं बच्चों को तुम कितना ही गुमराह करने की कोशिष करो हमने उनको सब कुछ बता दिया है वे आगे भी तुम्हारा विरोध जारी रखेंगे तुम्हे केवल विजेता की ही नजरों से देखेंगे और सदा तुम्हारे विरूद्ध संघर्श जारी रखेंगे ।
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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