सत्ता परिवर्तन हुआ है व्यवस्था परिवर्तन नहीं ।
हमारे देश की तासीर है कि जिन आदर्शों नीतियों और मान्यताओं के आधार पर इस देश की आधार शिला रखकर व्यवस्था कायम की गई थी जिसके परिणामस्वरूप इस देश में समता स्वतंत्रता बंधुत्व एवं नैषर्गिक न्याय पर आधारित व्यवस्था कायम हुई थी । यही व्यवस्था आगे चलकर विश्व की सर्वोच्च सभ्यता संस्कृति के रूप मे विश्वविख्यात हुई । इस व्यवस्था के निर्माणकर्ताओं नें इस व्यवस्था को हमारे देश की भौगोलिक स्थिती मौसम और जलवायु तथा प्रकृति के पर्यावरण की अनुकूलता के आधार पर स्थापित किया था यही कारण है कि इस व्यवस्था ने देश को विश्व के शिखर पर विराजित किया । यही कारण है कि विषम परिस्थितियों में भी हम अपनी पुरातन व्यवस्था को भौतिक नही ंतो सांस्कृतिक रूप में अपने आंतरिक व्यवहार में सहेजकर रखे रहते है । केवल इस आशा से कि आज नहीं कल देश की व्यवस्था हमारे मन के अनुकूल कायम होगी । दुनिया के सभी देश अपने देश की सामाजिक सांस्कृतिक भौगोलिक परिस्थितियों के अनुशार अपनी व्यवस्था कायम करते है । हमारे देश में विभिन्न आक्रमणकारी आये हम पर भौतिक रूप से विजय हासिल कर लेते हैं लेकिन हमारे देष की परिस्थितियों के अनुकूल व्यवस्था नहीं दे पाने के कारण हमारे मन को नहीं जीत पाते । कारण की आक्रमणकारी की व्यवस्था उनके अपने देष की भौगोलिक परिस्थितियों उनकी नीतियों उनकी मान्यताओं के हिसाब से होते हैं जो इस देश की तासीर के अनुकूल नहीं रहते । हमें दुख देने वाले साबित होते हैं । इसी दुख के कारण हम उसे मिटाने के लिये तथा अपने मन के अनुकूल व्यवस्था को कायम करने के लिये संधर्ष करते हैं । हमने हमने आर्यो से पराजित होकर संघर्ष जारी रखा मुगलों की व्यवस्था हमारे अनुकूल नहीं रहने के कारण उनसे भी हम लगातार संघर्ष करते रहे । अंग्रजी व्यवस्था भी हमारे अनुकूल नहीं रहने के कारण उसे भी नकार दिया । आमतौर पर हम कहते हैं कि हमारा देश अंग्रजों की 250 सालों की गुलामी से मुक्त हो गया हम स्वतंत्र हो गये । लेकिन मेरा मानना है कि हम अभी भी गुलाम हैं हमारा देश आज भी गुलाम है आर्य मुगल और अंग्रेजी व्यवस्था का गुलाम । कारण कि हमारे देष की तासीर के मुताबिक मन के मुताबिक व्यवस्था नहीं कायम हो सकी है । षासक बदले सत्ताओं का परिवर्तन हुआ व्यवस्था तो ज्यों की त्यों बनी हुई है । हमारी गुलामी 3500 वर्षो से लगातार जारी है । हमें पूर्ण आजादी के लिये संधर्ष जारी रखना होगा जब तक हमारे देष की तासीर के अनुकूल व्यवस्था कायम नहीं हो जाती । अभी अभी संपन्न आम चुनाव 2014 से सत्ता परिवर्तन हुआ है । देश की जनता ने विकास की उम्मीद से भाजपा को पूर्ण बहुमत दिया है ताकि देष का विकास हो । वह भी मात्र 30 प्रतिशत से । देष की 70 प्रतिशत जनता को अभी भी भरोशा नहीं कि विकास किस आधार पर होगा कारण कि व्यवस्था तो हजारों वर्षों से बदली नहीं तब सत्ता परिवर्तन से क्या होने वाला है । भाजपा के नेता सत्ता परिवर्तन के साथ यदि व्यवस्था परिवर्तन के लिये कुछ कर पाये तो उनका भविष्य सुनहरा है अन्यथा व्यवस्था परिवर्तन के बिना ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेंगें । हमारे देश की व्यवस्था में बदलाव लाने के लिये सत्ताधारियों को ज्यादा नही ंतो विकास के नाम पर आंशिक व्यवस्था में परिवर्तन करके देखना होगा जैसे 1.देष की तासीर के अनुकूल देषी फार्मूला पर आधारित आर्थिक कार्यकृम निर्धारित करने होंगे । 2. डब्ल्यू.टी ओ. के शडयंत्र मुक्त होना होगा साथ ही अन्य देषों को उससे मुक्त होने के लिये मित्रता करना ताकि वे आपका साथ दें । 3. वैश्वीकरण उदारीकरण और निजिकरण जैसी घातक एक और नई गुलामी लाने वाले कार्यक्रमों को समाप्त करना होगा । 4. हमें कर्ज मुक्त देष बनाना होगा इसके लिये स्विस बैंकों में जमा हमारे देष के भृष्ट नेताओ के धन को राष्टीय संपत्ति घोषित कर वापस लाना होगा । 5. कुछ लोग जनसंख्या को समस्या मानते है परन्तु जनसंख्या समस्या नहीे है चीन का उदाहरण हमारे सामने है इसके लिये सरकार को ज्यादा लोगों से ज्यादा उत्पादन का फार्मूला बनाना होगा । आज कम लोगों से ज्यादा उत्पादन के फार्मूला के कारण हमारे देश में बेरोजगारी है तुरंत बदला होगा । 6. हमारे देश से हमारा रूपया ज्यादा बाहर ना जाय बल्कि बाहर की करैंसी हमारे पास आये इसकी व्यवस्था बने 7. आयात पर अधिक टैक्स लगाया जाय निर्यात पर छूट दिया जाय ।
हमारे देश की तासीर है कि जिन आदर्शों नीतियों और मान्यताओं के आधार पर इस देश की आधार शिला रखकर व्यवस्था कायम की गई थी जिसके परिणामस्वरूप इस देश में समता स्वतंत्रता बंधुत्व एवं नैषर्गिक न्याय पर आधारित व्यवस्था कायम हुई थी । यही व्यवस्था आगे चलकर विश्व की सर्वोच्च सभ्यता संस्कृति के रूप मे विश्वविख्यात हुई । इस व्यवस्था के निर्माणकर्ताओं नें इस व्यवस्था को हमारे देश की भौगोलिक स्थिती मौसम और जलवायु तथा प्रकृति के पर्यावरण की अनुकूलता के आधार पर स्थापित किया था यही कारण है कि इस व्यवस्था ने देश को विश्व के शिखर पर विराजित किया । यही कारण है कि विषम परिस्थितियों में भी हम अपनी पुरातन व्यवस्था को भौतिक नही ंतो सांस्कृतिक रूप में अपने आंतरिक व्यवहार में सहेजकर रखे रहते है । केवल इस आशा से कि आज नहीं कल देश की व्यवस्था हमारे मन के अनुकूल कायम होगी । दुनिया के सभी देश अपने देश की सामाजिक सांस्कृतिक भौगोलिक परिस्थितियों के अनुशार अपनी व्यवस्था कायम करते है । हमारे देश में विभिन्न आक्रमणकारी आये हम पर भौतिक रूप से विजय हासिल कर लेते हैं लेकिन हमारे देष की परिस्थितियों के अनुकूल व्यवस्था नहीं दे पाने के कारण हमारे मन को नहीं जीत पाते । कारण की आक्रमणकारी की व्यवस्था उनके अपने देष की भौगोलिक परिस्थितियों उनकी नीतियों उनकी मान्यताओं के हिसाब से होते हैं जो इस देश की तासीर के अनुकूल नहीं रहते । हमें दुख देने वाले साबित होते हैं । इसी दुख के कारण हम उसे मिटाने के लिये तथा अपने मन के अनुकूल व्यवस्था को कायम करने के लिये संधर्ष करते हैं । हमने हमने आर्यो से पराजित होकर संघर्ष जारी रखा मुगलों की व्यवस्था हमारे अनुकूल नहीं रहने के कारण उनसे भी हम लगातार संघर्ष करते रहे । अंग्रजी व्यवस्था भी हमारे अनुकूल नहीं रहने के कारण उसे भी नकार दिया । आमतौर पर हम कहते हैं कि हमारा देश अंग्रजों की 250 सालों की गुलामी से मुक्त हो गया हम स्वतंत्र हो गये । लेकिन मेरा मानना है कि हम अभी भी गुलाम हैं हमारा देश आज भी गुलाम है आर्य मुगल और अंग्रेजी व्यवस्था का गुलाम । कारण कि हमारे देष की तासीर के मुताबिक मन के मुताबिक व्यवस्था नहीं कायम हो सकी है । षासक बदले सत्ताओं का परिवर्तन हुआ व्यवस्था तो ज्यों की त्यों बनी हुई है । हमारी गुलामी 3500 वर्षो से लगातार जारी है । हमें पूर्ण आजादी के लिये संधर्ष जारी रखना होगा जब तक हमारे देष की तासीर के अनुकूल व्यवस्था कायम नहीं हो जाती । अभी अभी संपन्न आम चुनाव 2014 से सत्ता परिवर्तन हुआ है । देश की जनता ने विकास की उम्मीद से भाजपा को पूर्ण बहुमत दिया है ताकि देष का विकास हो । वह भी मात्र 30 प्रतिशत से । देष की 70 प्रतिशत जनता को अभी भी भरोशा नहीं कि विकास किस आधार पर होगा कारण कि व्यवस्था तो हजारों वर्षों से बदली नहीं तब सत्ता परिवर्तन से क्या होने वाला है । भाजपा के नेता सत्ता परिवर्तन के साथ यदि व्यवस्था परिवर्तन के लिये कुछ कर पाये तो उनका भविष्य सुनहरा है अन्यथा व्यवस्था परिवर्तन के बिना ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेंगें । हमारे देश की व्यवस्था में बदलाव लाने के लिये सत्ताधारियों को ज्यादा नही ंतो विकास के नाम पर आंशिक व्यवस्था में परिवर्तन करके देखना होगा जैसे 1.देष की तासीर के अनुकूल देषी फार्मूला पर आधारित आर्थिक कार्यकृम निर्धारित करने होंगे । 2. डब्ल्यू.टी ओ. के शडयंत्र मुक्त होना होगा साथ ही अन्य देषों को उससे मुक्त होने के लिये मित्रता करना ताकि वे आपका साथ दें । 3. वैश्वीकरण उदारीकरण और निजिकरण जैसी घातक एक और नई गुलामी लाने वाले कार्यक्रमों को समाप्त करना होगा । 4. हमें कर्ज मुक्त देष बनाना होगा इसके लिये स्विस बैंकों में जमा हमारे देष के भृष्ट नेताओ के धन को राष्टीय संपत्ति घोषित कर वापस लाना होगा । 5. कुछ लोग जनसंख्या को समस्या मानते है परन्तु जनसंख्या समस्या नहीे है चीन का उदाहरण हमारे सामने है इसके लिये सरकार को ज्यादा लोगों से ज्यादा उत्पादन का फार्मूला बनाना होगा । आज कम लोगों से ज्यादा उत्पादन के फार्मूला के कारण हमारे देश में बेरोजगारी है तुरंत बदला होगा । 6. हमारे देश से हमारा रूपया ज्यादा बाहर ना जाय बल्कि बाहर की करैंसी हमारे पास आये इसकी व्यवस्था बने 7. आयात पर अधिक टैक्स लगाया जाय निर्यात पर छूट दिया जाय ।
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