सामूदायिक समस्या के लिये सामूहिक जिम्मेदारी निभाना है !
"कुछ प्रतिशत जागरूक अनुसूचित वर्ग के कर्मचारियों के माध्यम से मनुवाद के विरूद्ध आन्दोलन चलाकर शेष लोगों में तथा समाज में जनचेतना पैदा करने वाले मूलनिवासी समाज के प्रमोशन पर हमला छोटी बात नहीं यह हमारे ब्रेनबैंक पर हमला है । कुछ नौकरियां पाकर नौकरी पेशा व्यक्ति अपने बच्चे एवं परिवार को मार्गदर्शन कर आगे बढाने का प्रयास कर रहे हैं उसे रोकने का शडयंत्र । आज समाज ने जो कुछ भी पाया है चपरासी बाबू अधिकारी कर्मचारी बनकर पाया है, अन्यथा विकास के नाम पर समाज को धन धरती इज्जत लुटाना पड रहा है । अधिकारी कर्मचारी तो कुछ हद तक समाज में अपना योगदान लुके छिपे दे देता है, लेकिन मनुवादी राजनीतिक दलों से चुने हुए सांसद, विधायक तथा अन्य जनप्रतिनिधि आज भी आरक्षण के पक्ष की बात करते हैं लेकिन अपनी पार्टी के आकाओं के इशारे के बिना आगे रिस्क उठाने को तैयार नहीं, इसलिये इन गुलामों से आरक्षण की लडाई जीतना संभव नहीं ! अब आन्दोलन में समाज का नौजवान, मजदूर, किसान और चपरासी से लेकर बडे पद पर बैठा समाज ही, आरक्षण की लडाई लड सकता है । सामूहिक समस्या के लिये सामूहिक जिम्मेदारी बनती है ।"
"म0प्र0 में आरक्षण विरोधी और आरक्षित वर्ग"
हम सोचते हैं कि म0प्र0 में थोडे से सामान्य वर्ग के कर्मचारी आरक्षण का विरोध कर सफल हो रहे हैं । बात सही है । पर आपने कभी सोचा कि ये कर्मचारी और उनके संगठन हमारे कर्मचारियों से अधिक और ताकतवर क्यों हैं । हमारे कर्मचारियो की संख्या उनके अनुपात में बहुत ही कम है 50 प्रतिशत में आरक्षित वर्ग, वह भी कोटा पूरा नहीं हुआ, तब हम कैसे अधिक हो सकते हैं । इसलिये अधिक लोग सफल हो रहे हैं । हमें कर्मचारी ताकत के साथ साथ सामाजिक ताकत को भी आरक्षण बचाने के आन्दोलन में झोंकना होगा । और कर्मचारियें को यह तय कर लेना होगा कि, हम कभी भी सामान्य वर्ग के नेतृत्व में चलने वाले किसी संगठन के हिस्सा नहीं होगे । सामाजिक ताकत से हम जरूर सफल होगे ।
"काला धन, स्विसबैंक और मोदी"
मोदी जी काला धन की चर्चा करने स्विटजरलैंड जा रहे हैं । जहां वे अपने सहयोगियों के जमा काले काले धन को सुरक्षित करेंगे सबके लिये नहीं । परन्तु भाजपा को यह मालूम नहीं कि काला धन जिसे हमारे देश में गढा हुआ धन भी कहा जाता हैं और यह गढा हुआ धन निकालने के लिये निकालने वाले की बलि लेता है या उसके परिवार के किसी अन्य की बलि लेता है । मोदी को काला धन लाने के लिये खुद को या बीजेपी की बलि चढाना पडेगा । अन्यथा यह काला धन सारे बीजेपी परिवार को धीरे धीरे खा जायेगा अभी चार में से तीन राज्यों में मात खा गये हैं आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी काला धन जरूर असर करने वाला है । हमारे देश की यह पुरानी अवधारणा है जो कभी गलत साबित नहीं हुई है ।
"म0प्र0 में आरक्षण विरोधी और आरक्षित वर्ग"
हम सोचते हैं कि म0प्र0 में थोडे से सामान्य वर्ग के कर्मचारी आरक्षण का विरोध कर सफल हो रहे हैं । बात सही है । पर आपने कभी सोचा कि ये कर्मचारी और उनके संगठन हमारे कर्मचारियों से अधिक और ताकतवर क्यों हैं । हमारे कर्मचारियो की संख्या उनके अनुपात में बहुत ही कम है 50 प्रतिशत में आरक्षित वर्ग, वह भी कोटा पूरा नहीं हुआ, तब हम कैसे अधिक हो सकते हैं । इसलिये अधिक लोग सफल हो रहे हैं । हमें कर्मचारी ताकत के साथ साथ सामाजिक ताकत को भी आरक्षण बचाने के आन्दोलन में झोंकना होगा । और कर्मचारियें को यह तय कर लेना होगा कि, हम कभी भी सामान्य वर्ग के नेतृत्व में चलने वाले किसी संगठन के हिस्सा नहीं होगे । सामाजिक ताकत से हम जरूर सफल होगे ।
"काला धन, स्विसबैंक और मोदी"
मोदी जी काला धन की चर्चा करने स्विटजरलैंड जा रहे हैं । जहां वे अपने सहयोगियों के जमा काले काले धन को सुरक्षित करेंगे सबके लिये नहीं । परन्तु भाजपा को यह मालूम नहीं कि काला धन जिसे हमारे देश में गढा हुआ धन भी कहा जाता हैं और यह गढा हुआ धन निकालने के लिये निकालने वाले की बलि लेता है या उसके परिवार के किसी अन्य की बलि लेता है । मोदी को काला धन लाने के लिये खुद को या बीजेपी की बलि चढाना पडेगा । अन्यथा यह काला धन सारे बीजेपी परिवार को धीरे धीरे खा जायेगा अभी चार में से तीन राज्यों में मात खा गये हैं आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी काला धन जरूर असर करने वाला है । हमारे देश की यह पुरानी अवधारणा है जो कभी गलत साबित नहीं हुई है ।
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