"समाज को कविता और कवि सम्मेलनों के माध्यम से भी जन चेतना पैदा करने की अनिवार्य आवश्यकता है । "
गोंडवानं समग्र क्रांति आन्दोलन अनेक विधाओं में किसी तरह शनै: शनै: आगे बढ रहा है । एैसे विचार प्रवाह में एक विधा जो पढे लिखे वर्ग को प्रभावित कर सकती है, समाज का आईना अपनी विधा के माध्यम से ,उन्हें अपनी बौद्धिक क्षमता का विकास करने का अवसर दे सकती है । वह विघा है , काव्य पाठ या कवि सम्मेलन । किसी ने कहा भी है "जहां रवि ना पहुचे वहां कवि पहुचता है ।" उसकी अपनी दृष्टि होती है जिसे वह अपनी काव्य विधा के माध्यम से जन जन तक रस भरे अंदाज से प्रेम से पहुचा सकता है । होने को तो हमारे बीच अनेक स्थानीय स्तर पर लिखने वाले बहुत से कवि हैं पर आन्दोलन की दृघ्टि से अपनी बात अपने लहजे में पहुचाने वालों की काफी कमी महशूस की जा रही है । इसलिये हमारे समाज के जितने भी कवी हैं उन्हें एक दूसरे से संलग्न हो जाना चाहिए !जो जिम्मदारी उठा सकते हैं एैसे कुछ कवि हृदय हैं, जो गोंडवाना आन्दोलन के लिये कवियों का एक मंच स्थापित कर सकते हैं जिनको समुदाय आमंत्रित कर सके । पहले पहल छोटे स्तर पर ही सही लेकिन इसका आयोजन अति आवश्यक है । अत जिन कवियों से समाज को अपेक्षा है, एैसे गिने चुने नामों से इस संबंध में चर्चा की जानी चाहिये और एैसे कवियों से मेरा भी आग्रह है कि, इस काम को आगे बढायें तो आन्दोलन के लिये महत्वपूर्ण हो सकता है ।
कुछ नाम हैं जिनका उल्लेख करने की धृष्टता कर रहा हूं । अन्य और भी होंगे जिन्हे आप भी जानते होंगे अवश्य एैसे नामों का उल्लेख करें जिससे इस काव्य विधा के माध्यम से जनचेतना पैदा की जा सके ।
1.तिरूमाय उषा किरण आत्राम महाराष्ट
2.तिरूमाल डा0 सूर्यबाली भोपाल म0प्र0
3.तिरूमाल कृष्णा नेताम छ0ग0
4.तिरूमाल नारायण सिंह गजोरिया म0प्र0
5.तिरूमाल कोमल सिंह मरई छ0ग0
6. तिरूमाल रावन कुभकरण धुर्वे महाराट
7. तिरूमाल शेरा उईके म0प्र0
Note-उपरोक्त सभी कवियों के संबंध में मुझे जानकारी है पर आप जिन्हें जानते हों उनके बारे में जरूर अवगत करायें । ताकि किसी कवि सम्मेलन का आयोजन कर एैसे आयोजन में उन्हें सादर आमंत्रित कर समाज को उनकी विधा के माध्यम से चेतना पैदा करने का प्रयास किया जा सके ।- by gulzar singh markam
गोंडवानं समग्र क्रांति आन्दोलन अनेक विधाओं में किसी तरह शनै: शनै: आगे बढ रहा है । एैसे विचार प्रवाह में एक विधा जो पढे लिखे वर्ग को प्रभावित कर सकती है, समाज का आईना अपनी विधा के माध्यम से ,उन्हें अपनी बौद्धिक क्षमता का विकास करने का अवसर दे सकती है । वह विघा है , काव्य पाठ या कवि सम्मेलन । किसी ने कहा भी है "जहां रवि ना पहुचे वहां कवि पहुचता है ।" उसकी अपनी दृष्टि होती है जिसे वह अपनी काव्य विधा के माध्यम से जन जन तक रस भरे अंदाज से प्रेम से पहुचा सकता है । होने को तो हमारे बीच अनेक स्थानीय स्तर पर लिखने वाले बहुत से कवि हैं पर आन्दोलन की दृघ्टि से अपनी बात अपने लहजे में पहुचाने वालों की काफी कमी महशूस की जा रही है । इसलिये हमारे समाज के जितने भी कवी हैं उन्हें एक दूसरे से संलग्न हो जाना चाहिए !जो जिम्मदारी उठा सकते हैं एैसे कुछ कवि हृदय हैं, जो गोंडवाना आन्दोलन के लिये कवियों का एक मंच स्थापित कर सकते हैं जिनको समुदाय आमंत्रित कर सके । पहले पहल छोटे स्तर पर ही सही लेकिन इसका आयोजन अति आवश्यक है । अत जिन कवियों से समाज को अपेक्षा है, एैसे गिने चुने नामों से इस संबंध में चर्चा की जानी चाहिये और एैसे कवियों से मेरा भी आग्रह है कि, इस काम को आगे बढायें तो आन्दोलन के लिये महत्वपूर्ण हो सकता है ।
कुछ नाम हैं जिनका उल्लेख करने की धृष्टता कर रहा हूं । अन्य और भी होंगे जिन्हे आप भी जानते होंगे अवश्य एैसे नामों का उल्लेख करें जिससे इस काव्य विधा के माध्यम से जनचेतना पैदा की जा सके ।
1.तिरूमाय उषा किरण आत्राम महाराष्ट
2.तिरूमाल डा0 सूर्यबाली भोपाल म0प्र0
3.तिरूमाल कृष्णा नेताम छ0ग0
4.तिरूमाल नारायण सिंह गजोरिया म0प्र0
5.तिरूमाल कोमल सिंह मरई छ0ग0
6. तिरूमाल रावन कुभकरण धुर्वे महाराट
7. तिरूमाल शेरा उईके म0प्र0
Note-उपरोक्त सभी कवियों के संबंध में मुझे जानकारी है पर आप जिन्हें जानते हों उनके बारे में जरूर अवगत करायें । ताकि किसी कवि सम्मेलन का आयोजन कर एैसे आयोजन में उन्हें सादर आमंत्रित कर समाज को उनकी विधा के माध्यम से चेतना पैदा करने का प्रयास किया जा सके ।- by gulzar singh markam
Comments
Post a Comment