"आदिवासी हुंकार यात्रा"
आदिवासियों के अधिकार सहित उनकी
अस्मिता और पहचान को बरकरार रखने के लिये प्रदेश के समस्त पंजीकृत/अपंजीकृत आदिवासी संगठन और आदिवासी हित में अपना बहुमूल्य और सतत् योगदान देने वाले पंजीकृत/अपंजीकृत जनसंगठनों से अपील है कि "सिविल सोसायटी" यानि "जल जंगल जमीन जीवन बचाओ साझा मंच" के माध्यम से २अक्टूबर २०१९ से आरंभ "आदिवासी हुंकार यात्रा " के माध्यम से दिनांक १७ नवम्बर २०१९ को भोपाल में एकत्र होकर प्रदेश स्तरीय एक विशाल यात्रा का समापन किया जायेगा।यात्रा के दौरान आंदोलन में शामिल व्यक्ति और संगठन प्रमुखत: जल जंगल जमीन और जीवन कैसे सुरक्षित रहे तथा इसका संरक्षक आदिवासी के अस्तित्व और अस्मिता को बगैर सुरक्षित किये कदापि संभव नहीं। इस विषय पर जन चेतना पैदा करते हुए । उनके संरक्षण के लिये बने कानून और नियमों यथा, वनाधिकार अधिनियम,पांचवीं अनुसूचि,पेसा और मेसा कानून, जलाशय और अभ्यारणों के कारण भूअधिगृहण , विस्थापन और पुनर्वास नियमों की जानकारी देते हुए वनाधिकार के तहत ग्रामसभा द्वारा पारित व्यक्तिगत,निस्तारी और सामुदायिक दावा प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट के बेदखली आदेश के विरूद्ध जनचेतना पैदा की जानी है। साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा "वन मित्र"नामक यंत्र की उपयोगिता और वनाधिकार की भी जानकारी से हितग्राहियों को अवगत कराया जाना है,जिसकी जिम्मेदारी "सिविल सोसायटी" के प्रत्येक जानकार व्यक्ति की है। अत: प्रदेश के समस्त ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तथा विधान सभा से लेकर लोकसभा तक के वर्तमान एवं पूर्व सद्स्यों से साझा मंच का अनुरोध है कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर इस पवित्र जनआंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।
निवेदन:- "जल,जंगल,जमीन जीवन बचाओ साझा मंच"
साभार प्रस्तुत,गुलजार सिंह मरकाम
आदिवासियों के अधिकार सहित उनकी
अस्मिता और पहचान को बरकरार रखने के लिये प्रदेश के समस्त पंजीकृत/अपंजीकृत आदिवासी संगठन और आदिवासी हित में अपना बहुमूल्य और सतत् योगदान देने वाले पंजीकृत/अपंजीकृत जनसंगठनों से अपील है कि "सिविल सोसायटी" यानि "जल जंगल जमीन जीवन बचाओ साझा मंच" के माध्यम से २अक्टूबर २०१९ से आरंभ "आदिवासी हुंकार यात्रा " के माध्यम से दिनांक १७ नवम्बर २०१९ को भोपाल में एकत्र होकर प्रदेश स्तरीय एक विशाल यात्रा का समापन किया जायेगा।यात्रा के दौरान आंदोलन में शामिल व्यक्ति और संगठन प्रमुखत: जल जंगल जमीन और जीवन कैसे सुरक्षित रहे तथा इसका संरक्षक आदिवासी के अस्तित्व और अस्मिता को बगैर सुरक्षित किये कदापि संभव नहीं। इस विषय पर जन चेतना पैदा करते हुए । उनके संरक्षण के लिये बने कानून और नियमों यथा, वनाधिकार अधिनियम,पांचवीं अनुसूचि,पेसा और मेसा कानून, जलाशय और अभ्यारणों के कारण भूअधिगृहण , विस्थापन और पुनर्वास नियमों की जानकारी देते हुए वनाधिकार के तहत ग्रामसभा द्वारा पारित व्यक्तिगत,निस्तारी और सामुदायिक दावा प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट के बेदखली आदेश के विरूद्ध जनचेतना पैदा की जानी है। साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा "वन मित्र"नामक यंत्र की उपयोगिता और वनाधिकार की भी जानकारी से हितग्राहियों को अवगत कराया जाना है,जिसकी जिम्मेदारी "सिविल सोसायटी" के प्रत्येक जानकार व्यक्ति की है। अत: प्रदेश के समस्त ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तथा विधान सभा से लेकर लोकसभा तक के वर्तमान एवं पूर्व सद्स्यों से साझा मंच का अनुरोध है कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर इस पवित्र जनआंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।
निवेदन:- "जल,जंगल,जमीन जीवन बचाओ साझा मंच"
साभार प्रस्तुत,गुलजार सिंह मरकाम
Comments
Post a Comment