"एन आर सी के तहत आदिवासी भी अपने इलाके में प्रभावित होने से नहीं बचेगा इसलिए समय पूर्व सावधानी जरूरी है"
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सहित अन्य अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत पांचवी एवं छठी अनुसूची मैं आने वाले राज्य जिला एवं विकासखंड अपने क्षेत्रों में बसे अवैधानिक रूप से सिंधी और बंगाली शरणार्थियों को बाहर करने के लिए आंदोलन चलाएं सबसे पहले ज्ञापन फिर धरना फिर आंदोलन इसमें यह लिखा जाए की पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में इन शरणार्थियों को पहुंचाने का बस आने का अध्यादेश कब जारी हुआ यदि इन क्षेत्रों में इस तरीके का कोई भी संसदीय विधानसभा से कोई फरमान जारी हुआ है तो वह संवैधानिक रूप से अवैध है इसलिए ऐसे हालात में पुनः आपके इन आरक्षित क्षेत्रों में बाहर के शरणार्थियों को बसा दिया जाएगा ऐसे में यदि आप पूर्वोत्तर की तरह आंदोलन हो उससे पहले अपनी मंशा सरकार और जनता के बीच जाहिर कर दें,अन्यथा समय पूर्व जागृति नहीं होने से,nrc कानून आपके इलाकों में जबरदस्ती थोप दी जाएगी,तत्काल विरोध करने पर आपको पुलिस और मिलिट्री के बंदूक का सामना करना पड़ेगा।जिसका सामना आप नहीं कर पाएंगे। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक है कि आज भी आपको वनाधिकार या अन्य बात के लिए आदिवासी या जनजाति साबित करने के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता है । तब जब आप आज आजादी पूर्व महाराष्ट्र के व्यक्ति को एमपी में जाति प्रमाण पत्र के लिए मसक्कत करना पड़ता है, मित्त गोंड,ओझा गोंड जो हमेशा यायावर जीवन व्यतीत करते है,वे कहां से साबित करेंगे की वे भारत के निवासी है।देश का मालिक विदेशी,और विदेश का शरणार्थी असली मालिक,क्या अब भी नहीं समझोगे! यदि समझ गए हो तो सारा आदिवासी समुदाय आंदोलन के लिए तैयार होकर सड़क पर उतरे।यदि आपका भविष्य है अन्यथा,पूर्वोत्तर के आदिवासियों को अलगाववादी कहकर उनके साथ जो सुलूक हो रहा है,आपके साथ भी नक्सलवादी देशद्रोही का ठप्पा लगाकर देश के आमजन की मानसिकता को आपके विरुद्ध कर दिया जाएगा,जैसे आज ना बौधिजिवियों की ना संविधान के जानकारों ना ही न्याय के जानकार अनुभवी पूर्व न्यायधीश,पत्रकार,और समाजसेवियों की राय की कोई कीमत नहीं,तब आप किस खेत की मूली हो।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सहित अन्य अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत पांचवी एवं छठी अनुसूची मैं आने वाले राज्य जिला एवं विकासखंड अपने क्षेत्रों में बसे अवैधानिक रूप से सिंधी और बंगाली शरणार्थियों को बाहर करने के लिए आंदोलन चलाएं सबसे पहले ज्ञापन फिर धरना फिर आंदोलन इसमें यह लिखा जाए की पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में इन शरणार्थियों को पहुंचाने का बस आने का अध्यादेश कब जारी हुआ यदि इन क्षेत्रों में इस तरीके का कोई भी संसदीय विधानसभा से कोई फरमान जारी हुआ है तो वह संवैधानिक रूप से अवैध है इसलिए ऐसे हालात में पुनः आपके इन आरक्षित क्षेत्रों में बाहर के शरणार्थियों को बसा दिया जाएगा ऐसे में यदि आप पूर्वोत्तर की तरह आंदोलन हो उससे पहले अपनी मंशा सरकार और जनता के बीच जाहिर कर दें,अन्यथा समय पूर्व जागृति नहीं होने से,nrc कानून आपके इलाकों में जबरदस्ती थोप दी जाएगी,तत्काल विरोध करने पर आपको पुलिस और मिलिट्री के बंदूक का सामना करना पड़ेगा।जिसका सामना आप नहीं कर पाएंगे। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक है कि आज भी आपको वनाधिकार या अन्य बात के लिए आदिवासी या जनजाति साबित करने के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता है । तब जब आप आज आजादी पूर्व महाराष्ट्र के व्यक्ति को एमपी में जाति प्रमाण पत्र के लिए मसक्कत करना पड़ता है, मित्त गोंड,ओझा गोंड जो हमेशा यायावर जीवन व्यतीत करते है,वे कहां से साबित करेंगे की वे भारत के निवासी है।देश का मालिक विदेशी,और विदेश का शरणार्थी असली मालिक,क्या अब भी नहीं समझोगे! यदि समझ गए हो तो सारा आदिवासी समुदाय आंदोलन के लिए तैयार होकर सड़क पर उतरे।यदि आपका भविष्य है अन्यथा,पूर्वोत्तर के आदिवासियों को अलगाववादी कहकर उनके साथ जो सुलूक हो रहा है,आपके साथ भी नक्सलवादी देशद्रोही का ठप्पा लगाकर देश के आमजन की मानसिकता को आपके विरुद्ध कर दिया जाएगा,जैसे आज ना बौधिजिवियों की ना संविधान के जानकारों ना ही न्याय के जानकार अनुभवी पूर्व न्यायधीश,पत्रकार,और समाजसेवियों की राय की कोई कीमत नहीं,तब आप किस खेत की मूली हो।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
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