"क्या हम बबीता कच्छप को भूल जायें"
वैसे तो आदिवासियें के विन्नि मसलों पर अनेक लोगों ने काम किया है परन्तु पांचवी अनुसूचि पेसा कानून की व्याख्या और उसके अंदर छुपे आदिवासियों के अधिकारों का सरल और सहज व्याख्या करते हुए खासकर पत्कलगढी जैसे स्वशासन की बातों को देश के विभिन्न राज्यों के सुदूर वनक्षेत्रों में ले जाने का का साहस किया है तो वह नाम है बबीता कच्छप । आंदोलन के आरंभ से ही इन्होंने जोखिम उठाई है । आज उसे गुजरात पुलिस ने देशद्रोह जैसे मामले पर गिरफतार किया है । क्या समुदाय को पांचवी अनुसूचि की समझाईस देना देशद्रोह है । आदिवासियों के हितों को बताना पहले नक्सलवाद होता था अब देशद्रोह होने लगा । निश्चित ही इस विषय पर हमें गंभीर होना है अन्यथा हमारा आदिवासी अब देशद्रोह की श्रेणी में गिना जाने लगा । कायदा तो यही है मूलवासी आदिवासी को कोई विदेशी आक्रांता द्रेशद्रोही कह नहीं सकता । परन्तु अंग्रेजो की तरह सत्ताधारी बनकर आज के भारतीय अंग्रेज अब आदिवासियों को देशद्रोही भी बनाने लगे । राजा श्ंाकरशाह एवं कुंवर रधुनाथशाह पर भी द्रशद्रोह का मुकदमा लगाया गया था । क्या हम इसी का इंतजार करें । कक्या बबीता कच्छप के लिये जरा भी संवेदना नहीं है अमारे पास । कही भयभीत तो नहीं हैं हम । मित्रों आज शोसल मीडिया का जमाना है हमें बबीता कच्छप के लिये जितना हो सके सरकार पर दबाव बनाकर दसकी रिहाई की मांग की जाय अन्यथा समुदाय के लिये लडने वाले भय और असहयोग के का कभी सामने नहीं आयेंगे । सरकारों को स्थानीय राज्यपालों को राष्ट्रपति महोदय को उन्की रिहाई के लिये पत्र लिखें ।तत्पशचात इस विषय पर आंदोलन की रूपरेखा तय की जायेगी । जय सेवा जय जोहार !! -गुलजार सिंह मरकाम (रासंगोंसक्रांआं)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
Comments
Post a Comment