गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन लंबे समय से अनवरत जारी है आशा है इसी तरह सतत जारी रहे। गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन में जिन सामाजिक धार्मिक आर्थिक सांस्कृतिक भाषाई साहित्यिक जैसी शाखाओं को एक दूसरे से समन्वय कराते हुए आगे बढ़ाया गया परिणाम स्वरूप आज राष्ट्रीय क्षितिज पर यह आंदोलन कहीं ना कहीं अपेक्षित परिणाम दे रहा है परंतु गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की इन शाखाओं को सुरक्षा और संरक्षण देने के लिए राजनीतिक इकाई को अवसर दिया गया यह इकाई लंबे समय तक कोई अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रही है कारण बहुत से हैं परंतु कहा जाता है ना की राजनीति में धन है ग्लैमर है वाहवाही है इसलिए आंदोलन की आधार शाखाएं भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी परिणाम स्वरूप राजनीतिक इकाई अन्य शाखाओं को प्रभावित करने लगी । कायदा तो यही था की अन्य इकाइयां अपनी शाखाओं से व्यक्तियों को तैयार करके राजनीतिक शाखा में स्थापित करने का काम करती परंतु राजनीति के चलते इन शाखाओं के प्रस्तावित प्रतिनिधियों को कभी भी अवसर नहीं दिया गया अतः सामाजिक संगठन भी धीरे धीरे राजनीतिक आंदोलन से किनारा करके अपने तरीके से आंदोलन को चलाने लगे और कहीं कहीं मनुवादी दलों के साथ प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उठक बैठक और सहयोग की बात करने लगे गोंडवाना का राजनीतिक आंदोलन कमजोर हो गया। विभाजन की बात करना उचित नहीं इसलिए यदि गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की राजनीति की इकाई को मजबूत करना है तो केवल राजनीतिक शाखा के लोग एक मंच पर आकर विचार विमर्श करें आपसी समन्वय बनाने का प्रयास करें। अति उत्साही कुछ सामाजिक बंधु भले ही कहे की राजनीति को हम अपने हिसाब से दिशा निर्देश देंगे तो अभी के हालात में बेमानी है क्योंकि यह कई बार हो चुका सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक संगठन एक साथ कई प्रस्ताव पारित भी किए फिर भी राजनीतिक शाखा उसे यह कहकर नकार देती थी कि आप पार्टी के किस पद पर हैं इसलिए केवल पदाधिकारियों की सहमति पदाधिकारियों की बात को ही महत्व दिया जाएगा और अभी तक यही हुआ है सामाजिक बैठकों में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए लेकिन उनका क्रियान्वयन कभी नहीं हुआ इसलिए सामाजिक लोग दबाव नहीं बना पाएंगे यह मेरा लंबा अनुभव है। क्योंकि सामाजिक आंदोलन राजनीतिक आंदोलन को सहयोग दे सकती है लेकिन निर्णय राजनीतिक दल के पदाधिकारियों को लेना होता है। तब सामाजिक संगठन मन मसोसकर राजनीतिक दल की हां में हां या उनके प्रत्याशियों को जिताने में लग जाता है। इसलिए गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन मध्यस्थता करने के लिए तैयार है , अतः अपील है की भागोपा और गोगपा के शीर्ष पदाधिकारी बैठकर आपस में समन्वय और तालमेल बनाएं। समन्वय बन जाता है तो आंदोलन के लिए सोने में सुहागा होगा जब समन्वय ना बने ऐसी स्थिति में आंदोलन से संबंधित सामाजिक संगठन संज्ञान लें।
(GSKA)
मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत...
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