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"बीज गणित "

"बीज गणित " एक व्रक्ष के निर्माण के लिये बीज को मिटना पडता है। तभी नये बीज के पैदा होने की सम्भावना रहती है। नीव के पत्थरों को दफन होना पड़ता है, तब ऊन्ची इमारत की कल्पना की जा सकती है। इसी तरह समाज निर्माण के लिये समाज के अग्रणी पन्क्ति के लोगों को हर प्रकार का त्याग करना पड़ता है। यदि बीज कहे मुझे नहीं मिटना है, नीव का पत्थर कहे मुझे तो ऊपर ही रहना है, समाज का अग्रिम पंक्ति कहे मेरे किये का श्रेय मुझे जीते जी मिले तो " बीज गणित" कभी हल नहीं हो सकता । बिना हल किये सन्सार और समाज नहीं चल सकता।

मूलनिवासीयो की जीत के लिए एकमात्र हथियार "सन्सक्रति"

मूलनिवासीयो की जीत के लिए एकमात्र हथियार "सन्सक्रति" देश के मूलनिवासी के पास अस्तित्व बनाये रखने के लिए एकमात्र हथियार उसकी " सन्सक्रति " बची है। यही उसे बचा सकती है। देवासुर सन्ग्राम से लेकर शक , हूण , यवन , मुगल, पठान सहित डच , फ्रान्सीसी और अन्ग्रेजो के सत्तासीन होने के कारण इन विदेशी ताकतों ने हमें सत्ता,सम्पत्ति और शिक्षा से वन्चित कर हमें भौतिक रूप से गुलाम बना लिया। हम इन विषयों में पूरी तरह विदेशी ताकतों की मर्जी से दुर्भाग्य पूर्ण जीवन जीने को मजबूर हैं। हम इनके रह मो करम से शिक्षा नौकरी व्यापार कर सकते हैं। इनके गुलाम बनकर ही सत्ता में भागीदारी पा सकते हैं। इनकी मर्जी से सम्पत्ति के छोटे मोटे उपभोक्ता बन सकते हैं। इसका तात्पर्य है कि हम आज पूरी तरह इनकी इच्छानुसार  अच्छा या बुरा जीवन जीने के लिये मजबूर हो चुके हैं। इस भौतिक गुलामी से मुक्त हो पाना मुश्किल होता जा रहा है। मूलनिवासीयो के अनेक प्रबुद्ध जनो ने इस गुलामी से मुक्त होने के अनेक समाधान निकालने का प्रयास किये और आज भी अनेक प्रयास जारी हैं, लेकिन ज्यों ज्यों प्रयास हो रहे हैं। त्यों त्यों सत्ताध...

."गोन्डवाना आन्दोलन की सफलता के सूत्र"

1."कथित योग्य लोंगों की योग्यता का परिणाम भोगता देश ।" विकास के प्रयोगवादी कार्यकृमों से देश का अरबों रूपया बेकार गया है । विकास की योजनाओं के लिये मोटी तन्ख्वाहों पर अनेक विषयवार विशेषज्ञ रखे गये हैं लेकिन ये विशेषज्ञ किसी विषय पर दावे से यह नहीं कह सकते कि इस विषय के प्रयोग को माडल के रूप में आगे बढाया जाय । लगातार विकास के नाम पर प्रयोगवादी कार्यकृम कब तक चलते रहेंगे ना तो इनकी जलनीति सफल है ना गरीबी मिटाओं या स्वास्थ्य, शिक्षा ना कृषि ना आतंकवाद ना ही नक्सल समस्या को सुलझाने पर सफल हो पाये हैं सभी बिन्दुओं पर प्रयोग ही चल रहें हैं । प्रयोग के नाम पर देश का पैसा इन कथित योग्यता वालों के घरों को मालामाल कर रहा है । हितग्राही विकास की आशा लगाकर टुकुर टुकुर देख रहा है ।  2. "इस पर भी शोध होना चाहिए" देश में योग्यता अयोग्यता की बात आये दिन चलती रहती है। पहली बात तो यह है कि देश के सर्वोच्च पदों पर कौन है जिसके माध्यम से सत्ता चलती है। वही उसका जिम्मेदार है। दूसरी बात यह है कि देश में सबसे अधिक घूसखोरी और दलालों की सूची में किन जाति या वर्ग का हाथ है।इस विषय पर शो...

."देशज त्यौहारों की वर्तमान स्थिति"

0."देशज त्यौहारों की वर्तमान स्थिति" यह तो तय है कि होलिका को दुश्मनों ने चोरी से रात में मारकर जलाया होगा जिसकी यादो को ताजा बनाये रखने के लिए उन्हें किसी ना किसी देशज खुशी के त्यौहार के बीच रन्ग में भन्ग करना था। वे धीरे धीरे सफल हुए। सत्ता के हमारी मान्यताओं पर पडे प्रतिकूल प्रभाव से हम अपने त्यौहार को भूलते गये। इन्होंने हमारे हर त्यौहार के साथ अपना कोई ना कोई त्यौहार जोडकर हमारी सन्सक्रति को विस्मृत करने का प्रयास किया है, इसे समझना होगा। हमारे लोगों के द्वारा इन विषयों पर किया जा रहा शोध प्रयास सराहनीय है। हमें बहुजन आन्दोलन के अग्रणी मा० काशीराम के १५/८५ के फार्मूला से आर्य संस्कृति /अनार्य सन्सक्रति की मान्यताओं, परम्पराओं तीज त्यौहारों को छान्ट कर अलग करना होगा अन्यथा जाने अनजाने में हम अपनी खुशी के दिन को मातम के तथा अपने मातम के समय में खुशी मनाते दिखेन्गे । (गुलजार सिंह मरकाम) 1. "सान्सक्रतिक सन्घर्श में शोसल मीडिया का योगदान" बड़ी खुशी की बात है कि होली के सम्बन्ध में सोशल मीडिया में देश का पढा लिखा मूलनिवासी वर्ग देशज विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर...

"गोंडी भाषा द्रविड भाषाओं की जननी है"

"गोंडी भाषा द्रविड भाषाओं की जननी है" भारतीय परिवेष में भाषायी मामले में विभिन्न भाषाविदों ने देश में भाषा परिवार को दो समूह में विभाजित किया है । 1 द्रविड भाषा समूह 2 आर्यन/संस्कृृत भाषा समूह जिसमें द्रविड भाषा परिवार में गोंडी,तमिल,मलयालम,कन्नड आदि भाषाओं को द्रविड भाषा परिवार के अंर्तगत सम्लिित किया गया है वही देश की अन्य भाषाओं जैसे संस्कृृत सहित हिन्दी,गुजराती, मराठी,पंजाबी,उडिया, बंगाली आदि भाषाओं कों आर्य समूह की संस्कृत भाषा की सहोदर बताया गया है। भाषा अनुसंधान शास्त्रियों ने इस विभाजन के साथ ही संस्कृृत भाषा के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया है लेकिन,मौलिक सत्यापन से यह निश्कर्श निकलता है कि संस्कृृत भाषा गैर आर्य भाषा गैर द्रविड भाषा पाली भाषा से साम्यता रखती है इसका मतलब यह है कि आर्य समूह की भाषा संस्कृत का उदभव पाली से हुआ है । अब प्रष्न उठता है कि तमिल और संस्कृत को पुरानी भाषा मानने वाले भाषाविदों को पुनः अपनी शोध का पुनरावलोकन करने की आवष्यकता है । अर्थात आर्य समूह की मूल भाशा संस्कृत भारतीय परिवेष में स्थानय पाली भाषा जो मूलनिवासी दृविण परिवार की स्थानी...

"गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राजनीतिक क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है ।

"गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राजनीतिक क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है" गोंडवाना समग्र क्रांति आन्दोलन की समस्त सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक साहित्यिक शाखायें निरंतर प्रगति में हैं । वही इसकी राजनीतिक शाखा जो प्रजातंत्र में अहम भूमिका अदा करने वाली शाखा है कहीं न कहीं कमजोर नजर आती है । इसका प्रमुख कारण है कहीं ना कहीं हमसे गल्तिियां हो रहीं हैं । जिसे युवा पीढी को ध्यान चिंतन क रना होगा । पहली बात यह कि समय समय पर महत्वपूर्ण मुददों को लेकर राष्टीय कमेटी की बैठक आयोजित किया जाना चाहिये जो कभी होती नहीं । गोंडवाना आन्दोलन से प्रभावित राज्यों के प्रतिनिधियों को लेकर राष्टीय कमेटी का निर्माण होना चाहिये जो नहीं है । इसी तरह पार्टी के सभी विभाग गठित कर उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिये उसका रिकार्ड होना चाहिये जो कभी भी सार्वजनिक नहीं किये गये । पस संबंध में मैने अनेक बार सुझाव् दिये हैं लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ इन परिस्थितियों में संगठन के पदाधिकारी कभी भी कहीं भी व्यक्तिगत निर्णय लेकर पार्टी को नुकसान पहुंचा देते हैं । जिससे कार्यकर्ता और जनता का विश्वास टूटता है ...

गोन्डवाना "विचारधारा का मानकीकरण"

"विचारधारा का मानकीकरण" गोन्डवाना के ऐतिहासिक तथ्य हो या साक्ष्य ,इन पर हमारे समाज के विद्वान अभी एकपक्षीय विश्लेषण कर जैसा चाहे वैसी व्याख्या कर अपनी अपनी श्रेष्ठता,विद्वत्ता का प्रदर्शन करने की होड में दिखाई देते हैं। अर्थात अपने मुह मिया मिट्ठू की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। किसी तथ्य, विषय के अध्ययन , तथा शुरुआत के लिये ऐसा करना आरम्भिक चरण में सही हो सकता है। पर एैसा ना हो कि चार अन्धे हाथी के बारे में अपनी अपनी व्याख्या में अडे रहे। जब आन्ख वाला आकर उन्हें असलियत बता ये तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस न हो। ध्यान रहे गोन्डवाना के एैतिहासिक , धार्मिक, सान्सक्रतिक तथ्यों पर दुश्मन सूक्ष्मता से नजर गडाया हुआ है। आज वह आपके विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, इसका मतलब यह नहीं कि वह बेखबर है।हमें अपने मुह मिया मिट्ठू बनने की बजाय राष्ट्रीय स्तर पर विचारधारा का मानक मापदन्ड तय कर लेना चाहिये ताकि किसी व्यक्ति , समुदाय, या उस विचारधारा के सन्गठन को अपनी बात द्रढता से रखने मे आसानी हो । आज यह समाज अपनी बात को अपनी प्रस्तुति को एकरूपता से नहीं रख पाने के कारण अन्धविश्वासी, रू...